सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए 10 अगस्त 2017 को यह निर्णय दिया कि गाड़ी का बीमा नवीनीकरण करने के लिए गाड़ी का प्रदूषण स्तर नियंत्रित होने का वैध प्रमाणपत्र (पीयूसी) होना आवश्यक है.
कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह चार सप्ताह के भीतर सभी पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण नियंत्रण केंद्र स्थापित करना सुनिश्चित करे ताकि वाहनों में प्रदूषण के स्तर की जांच नियमित रूप से हो सके.
प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के बिना बीमा नवीकरण न होने का आदेश सभी गाड़ियों पर लागू होगा जिसमें दोपहिया वाहन भी शामिल हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील एवं पर्यावरणविद एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के मामले में पर्यावरण संरक्षण अथारिटी एप्का की रिपोर्ट में दिए गये सुझाव और सरकार की दलीलें सुनने के बाद दिये. सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने गाड़ी का इंश्योरेंस रिन्यू करने के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र की अनिवार्यता किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि दोनों चीजें अलग-अलग हैं.
कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह प्रदूषण नियंत्रण केन्द्रों की नियमित निगरानी की व्यवस्था करे ताकि गाडि़यों के उत्सर्जन मानक नियंत्रण में रहें. गौरतलब है कि इप्का रिपोर्ट में कहा गया था कि 96 प्रतिशत गाड़ियां प्रदूषण जांच में पास हो जाती हैं. कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर इस प्रकार की गाड़ियों का डाटा तैयार करने का समय दिया है.
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