Swift Payment System: यूक्रेन की मीडिया के मुताबिक रूस को स्विफ्ट भुगतान प्रणाली (Swift Payment System) से अलग करने की तैयारी चल रही है. आपको बता दें कि रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमलों से उसकी चौतरफा आलोचना हो रही है. रूसी सेना के हवाई हमलों ने यूक्रेनी सशस्त्र बलों के 74 सैन्य ठिकानों को बर्बाद कर दिया गया है.
अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. बताया जा रहा है कि इन प्रतिबंधों के वजह से रूस को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है. इस बीच स्विफ्ट से रूस को प्रतिबंधित किए जाने की चर्चा चल रही है. अमेरिका ने भी आम लोगों की मौत के लिए रूस को दोषी ठहराया है.
आपको बता दें कि यूक्रेन ने अन्य मांगों के साथ-साथ रूस को स्विफ्ट सिस्टम से डिसकनेक्ट करने की मांग भी की है.
SWIFT क्या है?
आपको बता दें कि स्विफ्ट (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications) ग्लोबल बैंकिंग सर्विसेज के जीमेल के तौर पर कार्य करने वाली एक प्रणाली है. इसकी स्थापना साल 1973 में की गई थी ताकि टेलेक्स प्रणाली पर निर्भरता को समाप्त किया जा सके. इसका उपयोग टेक्सट मैसेज भेजने हेतु किया जाता था. स्विफ्ट 200 से ज्यादा देशों में 11 हजार से ज्यादा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन एवं कंपनीज के बीच मैसेज के तौर पर सुरक्षित संचार प्रदान करता है.
स्विफ्ट प्रणाली में 200 से अधिक देश जुड़े हैं. यह एक मैसेजिंग नेटवर्क है. इसके द्वारा कुछ कोड का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पैसों का लेनदेन होता है. इस प्रणाली को चलाने हेतु स्विफ्ट का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रूसेल्स में ला हुल्पे में स्थापित किया गया है.
SWIFT की भूमिका महत्वपूर्ण क्यों?
स्विफ्ट का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि साल 2012 में जब कुछ ईरानी बैंकों को स्विफ्ट से बाहर कर दिया गया था तो ईरान का तेल निर्यात एक दिन में तीन मिलियन बैरल से अधिक गिर गया था. वहीं जब साल 2014 में रूस को स्विफ्ट से बाहर करने की चेतावनी दी गई थी तो उस समय रूस के वित्त मंत्री ने देश की जीडीपी में गिरावट की चेतावनी दी थी. इसके बाद कोई कदम नहीं उठाया गया.
रूस SWIFT से बाहर हुआ तो क्या होगा असर?
अगर रूस को स्विफ्ट से बाहर कर दिया जाता है तो रूस में घरेलू और विदेशी स्तर पर पैसों को लेनदेन लगभग असंभव हो जाएगा. इससे रूस को फॉरेन करेंसी प्राप्त नहीं होगी. इसके वजह से रूस की कंपनीज और उसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा. हालांकि ऐसा नहीं है कि इससे नुकसान केवल रूस को ही होगा बल्कि दूसरे देशों को रूस से मिलने वाले संसाधन जैसे- गैसे, तेल और विभिन्न धातु प्राप्त नहीं हो सकेगी.
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