जानें श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब कैसे हुई?

Jul 14, 2022, 12:27 IST

श्रीलंका अब अपने पड़ोसी देश भारत,चीन एवं अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सहायता की गुहार लगा रहा है. श्रीलंका की हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि लोगों को ईंधन के लिए कई घंटों तक कतार में खड़ा होना पड़ता है.

Sri Lanka Crisis
Sri Lanka Crisis

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लोग अब बहुत ज्यादा उग्र हो चुके है. हाल ही में लगभग हजारों लोगों ने राष्ट्रपति आवास एवं प्रधानमंत्री के घर को निशाना बनाया. वहां के स्वीमिंग पूल में नहाया, खाना खाते हुए सेल्फी ली, इन तस्वीरों को पूरी दुनिया ने देखा. मई के महीने में प्रधानमंत्री का पदभार संभालने वाले रानिल विक्रमसिंघे ने कहा था कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बुरी तरह कर्ज के बोझ में दब गयी है.

श्रीलंका अब अपने पड़ोसी देश भारत,चीन एवं अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सहायता की गुहार लगा रहा है. श्रीलंका की हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि लोगों को ईंधन के लिए कई घंटों तक कतार में खड़ा होना पड़ता है. श्रीलंका में पिछले कुछ माह से जारी आर्थिक संकट ने अब राजनीतिक संकट का रूप ले लिया है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग चुके हैं. वहीं, प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है.

आर्थिक संकट से गुज़र रहा है श्रीलंका

साल 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता के बाद श्रीलंका अपने सबसे बदतर आर्थिक संकट से गुज़र रहा है और विदेशी मुद्रा कोष के गंभीर संकट से उबरने हेतु जल्द से जल्द उसे कम से कम चार अरब डॉलर की आवश्यकता है. आईएमएफ से इसके लिए बातचीत हो रही थी.

जनता सड़कों पर उतर आई

श्रीलंका में पेट्रोल-डीज़ल, दवाईयों को रोज़मर्रा की दूसरी वस्तुओं की कमी को लेकर जनता सड़कों पर उतर आई. इसके बाद राष्ट्रपति राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा और रनिल विक्रमासिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया.

नए सरकार का गठन

गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के पहले राष्ट्रपति हैं जिन्हें अपने कार्यकाल की समाप्ति से पहले ही पद खाली करना पड़ा. इससे पहले ऐसा साल 1953 में विरोध-प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री डुडले सेनानायके को पद छोड़ना पड़ा था. श्रीलंका के संविधान के मुताबिक नए सरकार का गठन करना होगा जिसकी अगुवाई संसद के अध्यक्ष करेंगे. लेकिन इसके बाद महीने भर के भीतर ही नया राष्ट्रपति चुना जाना भी ज़रूरी है.

70 के दशक के बाद ऐसा पहली बार

माना जा रहा है कि 70 के दशक के बाद ऐसा पहली बार हुआ है. बता दें स्कूल बंद कर दिए गए हैं और लोगों को घरों के काम करने की सलाह दी गई है ताकि सप्लाई को बचाया जा सके. श्रीलंका की विदेशी मुद्रा लगभग समाप्त हो चुकी है, यानी कि दूसरे देशों से सामान ख़रीदने के लिए अब उनके पास पैसे नहीं बचे हैं.

क्या कोरोना महामारी एक बड़ी वजह?

इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. सरकार इसके लिए कोरोना महामारी को दोष दे रही है क्योंकि इसका असर टूरिज़्म पर पड़ा है तथा टूरिज़्म से श्रीलंका की कमाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आता रहा है. साल 2009 के गृह युद्ध के बाद श्रीलंका का ज़ोर घरेलू बाज़ार में सामानों की आपूर्ति पर रहा, उन्होंने विदेशी बाज़ार में पहुंचने की कोशिश नहीं की. इसलिए दूसरे देशों से आमदनी तो कम हुई ही, आयात का बिल भी बढ़ता गया.

3 बिलियन डॉलर का आयात

श्रीलंका अब तीन बिलियन डॉलर का आयात करता है, ये निर्यात से बहुत ज़्यादा है, इसलिए विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हो गई है. साल 2019 के अंत तक श्रीलंका के पास 7.6 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था. मार्च 2020 तक ये गिरकर 1.93 बिलियन डॉलर हो गया, और हाल ही में सरकार ने बताया है कि केवल 50 मिलियन डॉलर बचे हैं.

विदेशी मुद्रा की कमी एक गंभीर समस्या

साल 2021 की शुरुआत में श्रीलंका की विदेशी मुद्रा की कमी एक गंभीर समस्या बन गई, तो सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया. किसानों को लोकल जैविक उर्वरकों का उपयोग करने के लिए कहा गया. इससे व्यापक पैमाने पर फसल बर्बाद हो गई. श्रीलंका को विदेशों से अपने खाद्य भंडार की पूर्ति करनी पड़ी तथा विदेशी मुद्रा में और कमी होने लगी.

श्रीलंका पर विदेशी कर्ज़

श्रीलंका की सरकार पर विदेशी कर्ज़ बढ़कर 51 बिलियन डॉलर हो गया है. इसमें से 6.5 बिलियन डॉलर चीन का है तथा दोनों देश इसे लेकर फिर से विचार कर रहे हैं. इस साल श्रीलंका को अपने कर्ज़ के लिए सात बिलियन डॉलर का भुगतान करना होगा. विश्व बैंक श्रीलंका को 600 मिलियन डॉलर का उधार देने हेतु सहमत हो गया है.

भारत ने 1.9 बिलियन डॉलर का वादा किया है तथा वे आयात के लिए अतिरिक्त 1.5 बिलियन डॉलर उधार दे सकता है. प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह G7 जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. उन्होंने कहा है कि वे ऋण से राहत में श्रीलंका की सहायता करेगा.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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