उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को विधानसभा सदन में पेश कर दिया है. इस विधेयक को अब आगे राज्यपाल के पास भेजा जायेगा. वहीं विपक्षी दल इस बिल पर हंगामा करते हुए चर्चा की मांग कर रहे है.
इस बिल के पास हो जाने के बाद यह कानून बन जायेगा. इसके साथ ही उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बन जायेगा. इसके बाद राज्य में कई नियमों में परिवर्तन हो जायेंगे और समाज से जुड़ी कई चीजे क़ानूनी दायरें में आ जाएँगी.
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट हाल ही में सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपा गया था. यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट जस्टिस रंजना देसाई कमिटी ने तैयार किया था. इस ड्राफ्ट में 400 से अधिक धाराएं शामिल की गयी है. राज्यपाल की मंजूरी के बाद, उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बन जायेगा.
बढ़ेंगे महिलाओं के अधिकार:
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत महिलाओं के अधिकारों को एक नया आयाम मिलेगा. प्रदेश में बहु विवाह जैसी प्रथाओं पर रोक लगेगी. साथ ही संपत्ति में अधिकार पर भी बड़ा फैसला लिया गया है.
साथ ही मुस्लिम महिलाओं के लिए कई कदम उठाये गए है. सूत्रों की माने तो मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है. वहीं, पति और पत्नी दोनों को तलाक के लिए समान अधिकार मिलेंगे.
लिव-इन के लिए कराना होगा रजिस्ट्रेशन:
यूनिफॉर्म सिविल कोड में सभी नागरिकों को लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया जा सकता है. साथ ही रिलेशनशिप में रहने वालो को अपने माता-पिता को भी जानकारी देने का भी प्राविधान हो सकता है. साथ यह भी बताया जा रहा है कि विवाह रजिस्ट्रेशन को भी अनिवार्य कर दिया जायेगा.
#WATCH | Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami tables the Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill in State Assembly, in Dehradun. pic.twitter.com/B1LRzfoC09
— ANI (@ANI) February 6, 2024
यूनिफॉर्म सिविल कोड हाईलाइट्स:
- यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है.
- राज्य में विवाह पंजीकरण नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है.
- गोद लेने की प्रक्रिया सरल बनाया जायेगा साथ ही मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा.
- पति और पत्नी दोनों को तलाक के लिए समान अधिकार मिलेंगे. वहीं पति-पत्नी के विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को दी जा सकती है.
- सभी समुदाय की युवतियों के विवाह की उम्र सामान रखी जाएगी.
- नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी की होगी.
- अनाथ बच्चों के लिए भी बड़ा कदम उठाया गया है. उनके संरक्षकता की प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा.
- समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत, राज्य में बहुविवाह प्रथा पर पूरी तरह से रोक लगा देने का प्राविधान पेश किया गया है.
- समान नागरिक संहिता में गोद लिए हुए बच्चों, सरोगेसी द्वारा जन्मे बच्चों और असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी द्वारा पैदा हुए बच्चों में कोई भेद नहीं होगा. इन्हे भी जैविक संतान का दर्जा मिलेगा.
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