हार्ड-राइट टेक करोड़पति नफ्ताली बेनेट बने इज़राइल के नए प्रधानमंत्री

Jun 14, 2021, 16:52 IST

नफ्ताली बेनेट एक पूर्व तकनीकी उद्यमी हैं, जिन्होंने अपने करियर परिवर्तन से पहले लाखों कमाए और फिर, दक्षिणपंथी राजनीति और एक धार्मिक राष्ट्रवादी राजनीतिक स्थिति में गंभीरता से शामिल हो गए.

Who is Naftali Bennett; Israel’s new Prime Minister and hard-right tech millionaire
Who is Naftali Bennett; Israel’s new Prime Minister and hard-right tech millionaire

13 जून, 2021 को संसद द्वारा एक नई सरकार को मंजूरी देने के बाद, एक करोड़पति पूर्व तकनीकी उद्यमी, जिन्होंने कट्टर धार्मिक-राष्ट्रवादी बयानबाजी के साथ राजनीति में शोहरत हासिल की है, को इज़राइल के नए प्रधान मंत्री के तौर पर चुना गया है.

नफ़्ताली बेनेट खुले तौर पर धार्मिक जीवन शैली का नेतृत्व करने वाले इज़राइल के पहले प्रधानमंत्री होंगे और धार्मिक यहूदी पुरुषों द्वारा पहनी जाने वाली छोटी टोपी ‘किप्पा’ का समर्थन करने वाले पहले व्यक्ति होंगे.

कौन हैं ये नफ्ताली बेनेट?

अमेरिकी माता-पिता की संतान, नफ्ताली बेनेट एक 49 वर्षीय राजनेता और एक पूर्व तकनीकी उद्यमी हैं.

नफ्ताली बेनेट ने नेतन्याहू के साथ वर्ष, 2006 और वर्ष, 2008 के बीच एक वरिष्ठ सहयोगी के तौर पर  काम किया था. हालांकि, उनके साथ संबंधों में खटास आने के बाद, उन्होंने नेतन्याहू की लिकुड पार्टी छोड़ दी थी.

उन्होंने खुद को दक्षिणपंथी राष्ट्रीय-धार्मिक यहूदी होम पार्टी के साथ जोड़ लिया था और वर्ष, 2013 में इसके प्रतिनिधि के तौर पर संसद में प्रवेश किया था.

राजनीतिक विचारधारा

नफ्ताली बेनेट को यहूदी राष्ट्र-राज्य के लिए एक मजबूत अधिवक्ता होने के साथ-साथ वेस्ट बैंक, गोलन हाइट्स और पूर्वी यरुशलम में यहूदी धार्मिक और ऐतिहासिक दावों पर जोर देने के लिए जाना जाता है.

बेनेट येशा काउंसिल के प्रमुख भी रह चुके हैं. वे वेस्ट बैंक में बसने वाले यहूदियों के अधिकारों के लंबे समय से पैरोकार रहे हैं. हालांकि, उन्होंने गाजा पर इजरायल के दावों की कभी वकालत नहीं की है.

इज़राइल-फिलिस्तीन पर नफ्ताली बेनेट का रवैया

उन्होंने फिलिस्तीनी स्वतंत्रता का कड़ा विरोध किया है और कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में यहूदी बस्तियों का समर्थन किया है.

वर्ष, 2013 में, फिलिस्तीन के खिलाफ टिप्पणियों की एक श्रृंखला में, बेनेट ने यह कहा था कि, फिलिस्तीनी आतंकवादियों को मार दिया जाना चाहिए और रिहा नहीं किया जाना चाहिए.

इज़राइल में नई गठबंधन सरकार

इज़राइल की नई गठबंधन सरकार, जिसने देश के प्रधानमंत्री के तौर पर नेतन्याहू के 12 साल के शासन को समाप्त कर दिया, में वे राजनीतिक दल शामिल हैं जिनमें अनुभवी दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री को हटाने की इच्छा के अलावा बहुत कम समानता है.

नेतन्याहू के 12 साल के शासन का अंत - इस पतन के क्या कारण थे?

नेतन्याहू, जिन्होंने खुद को एक विश्व स्तरीय राजनेता के तौर पर चित्रित किया था और रूस और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों का दावा किया था, को अमेरिका में वर्तमान बिडेन प्रशासन से कहीं अधिक ठंडा स्वागत मिला.

इसके अलावा, उन्होंने ‘फूट डालो और जीतो की रणनीति’ का अनुसरण किया, जिसके परिणामस्वरूप इजरायली समाज में यहूदियों और अरबों के बीच और उनके अति-रूढ़िवादी सहयोगियों और धर्मनिरपेक्ष यहूदियों के बीच दरार आ गई.

इजरायल की नई सरकार और भारत के साथ इसके राजनयिक संबंध

इज़राइल और गाजा के बीच हालिया संघर्ष के बाद, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत टी.एस. तिरुमूर्ति ने दोनों पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने का आग्रह किया है.

इजराइल और भारत के बीच वर्ष, 1950 से मजबूत द्विपक्षीय संबंध कायम रहे हैं. दोनों देशों के बीच संबंध हमेशा सकारात्मक रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन के दौरान ये द्विपक्षीय संबंध और अधिक मजबूत हुए है.

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