विलियम रुटो चुने गए केन्या के नए राष्ट्रपति, दिग्गज राइला ओडीन्गा को दी मात
रुटो वर्ष 2013 से देश के उपराष्ट्रपति थे. गौरतलब है कि राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा एक दशक तक सत्ता में रहे, और अपना कार्यकाल किया पूरा.

विलियम रुटो अब पूर्वी अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का करेंगे प्रतिनिधित्व , रुटो वर्ष 2013 से देश के उपराष्ट्रपति थे, रिगथी गचागुआ देश के नए उपराष्ट्रपति चुने गए, गौरतलब है कि राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा एक दशक तक सत्ता में रहे, और अपना कार्यकाल किया पूरा.
विलियम रुटो ने हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव में अपने चिर प्रतिद्वंदी और केन्या राजनीति के दिग्गज राइला ओडीन्गा को हरा दिया है, उन्होंने यह चुनाव बहुत ही कम अंतर से जीता है, उन्हें इस चुनाव में कुल 50.05 % मत प्राप्त हुए है। केन्या गणराज्य की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद, 55 वर्षीय रुटो देश के पांचवें राष्ट्रपति होंगे। इसके साथ ही उनकी पार्टी, केन्या क्वांजा (केन्या फर्स्ट) गठबंधन ने केन्या की सीनेट, संसद के ऊपरी सदन में भी बहुमत हासिल कर लिया है। हालांकि ओडिंगा के पार्टी एजेंट ने आरोप लगाया है कि चुनाव में अनियमितताएं पाई गयी हैं।
विलियम रुटो का राजनीतिक सफर:
नैरोबी विश्वविद्यालय में चर्च नेतृत्व से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले रुटो ने वर्ष 1992 में पूर्व राष्ट्रपति डैनियल अराप मोई के लिए चुनाव प्रचार किया था। वह डैनियल अराप मोई को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे, और उनसे काफी प्रभावित थे, वह बहुत ही साधारण परिवार से सम्बन्ध रखते है।
वर्ष 1997 में, वह पहली बार एल्डोरेट नॉर्थ निर्वाचन क्षेत्र की संसदीय सीट से जीत के साथ शुरुआत की थी, धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ती गयी और वर्ष 2002 में संसद सदस्य के रूप में वह फिर से चुने गए। रुटो वर्ष 2013 में देश के उपराष्ट्रपति चुने गए थे।
रुटो ने देश से किये अहम वादे:
राजवंश या परिवारवाद की राजनीति से देश को मुक्त कराने का वादा किया है। जो केन्या के राजनीतिक परिदृश्य पर हावी रहे हैं, जैसे ओडिंगा और केन्याटा। ओडिंगा के पिता देश के पूर्व उपराष्ट्रपति थे और निवर्तमान राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा के पिता, जोमो केन्याटा, 1963 में देश के पहले राष्ट्रपति थे।
केन्या में खाद्य और ईंधन की बढ़ती कीमतें, सरकारी कर्ज, बेरोजगारी और व्यापक भ्रष्टाचार जैसे आर्थिक मुद्दे चुनाव में प्रमुखता से उभरकर सामने आये थे। इन चुनौतियों से निपटने के लिए रुटो ने अपने विचार और रोडमैप देश के सामने प्रस्तुत किये है।
रूस यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न हुई परिस्थितियों और देश में बेरोजगारी की समस्या और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना रुटो लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
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