17 अप्रैल: विश्व हेमोफिलिया दिवस
विश्व भर में 17 अप्रैल 2016 को विश्व हेमोफिलिया दिवस मनाया गया जिसका विषय था, सभी के लिए उपचार.
इसका उद्देश्य हेमोफिलिया एवं रक्तस्राव से सम्बंधित अन्य रोगों के प्रति लोगों को जागरुक करना है. इस दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा इस रोग के प्रति लोगों के बीच वार्ता कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं तथा जानकारी प्रदान की जाती है.
इसकी स्थापना वर्ष 1989 में विश्व हेमोफिलिया फेडरेशन (डब्ल्यूएफएच) के सहयोग से की गयी. दिनांक 17 अप्रैल का चयन डब्ल्यूएफएच के संस्थापक फ्रैंक स्केंब्ल के जन्मदिवस पर सम्मानस्वरूप किया गया.
हेमोफिलिया
• यह सबसे पुराना ज्ञात आनुवंशिक रक्तस्राव विकार है जो जीन्स में कमी के कारण होता है.
• इसमें शरीर में रक्त संचयन नहीं होता तथा लगातार रक्तस्राव होने पर रक्त बहता रहता है.
• यह परिवार में पिता के हेमोफिलिया द्वारा पीड़ित होने पर संतान में भी फैलता है.
हेमोफिलिया के प्रकार
हेमोफिलिया दो प्रकार के होते हैं तथा दोनों में ही रक्त स्कंदन की परेशानी रहती है.
हेमोफिलिया ए: यह सबसे अधिक पाया जाने वाला हेमोफिलिया है जिसमें स्कन्द की प्रक्रिया VIII (8) बेहद धीमी होती है. यह 5000 से 10000 पुरुषों के बीच एक पुरुष को होती है.
हेमोफिलिया बी: यह बहुत कम पायी जाती है जिसमें स्कंदन की प्रक्रिया IX (9) होती है. यह 20000 से 34000 पुरुषों में से किसी एक में पायी जाती है.
हेमोफिलिया का रक्त नमूने लेकर तथा उनका उचित परीक्षण करके इसकी जांच की जाती है. इसका पूरा इलाज संभव नहीं है लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
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