11 जुलाई 2018: विश्व जनसंख्या दिवस
प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. इसे मनाये जाने का उद्देश्य लोगों के बीच जनसँख्या से जुड़े तमाम मुद्दों पर जागरूकता फैलाना है. इसमें लिंग भेद, लिंग समानता, परिवार नियोजन इत्यादि मुद्दे तो शामिल हैं ही, लेकिन संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य इसके माध्यम से महिलाओं के गर्भधारण सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर लोगो को जागरूक करना है.
जनसंख्या दिवस का विषय |
वर्ष 2018 का विश्व जनसँख्या दिवस इस मामले में और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार इसका विषय "परिवार नियोजन: एक मानवाधिकार" पर केंद्रित है. वर्ष 2018 के लिए "परिवार नियोजन: एक मानबाधिकार" विषय को चुने जाने का भी एक महत्वपूर्ण कारण है, क्योंकि यह परिवार नियोजन को पहली बार मानवाधिकार का दर्जा देने वाली तेहरान घोषणा की 50वीं वर्षगांठ का वर्ष है. पहली बार 1968 में "मानवाधिकार पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन" में परिवार नियोजन को भी एक मानवाधिकार माना गया और अभिभावकों को बच्चों की संख्या चुनने का अधिकार दिया गया. |
भारत के लिए महत्वपूर्ण क्यों?
भारत के लिए विश्व जनसंख्या दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विश्व की साढ़े सात अरब आबादी में से लगभग 130 करोड़ लोग भारत में रहते हैं. जब विश्व की आबादी पांच अरब हो गई तो विश्व बैंक में कार्यरत डॉ के सी ज़कारिया ने यह दिवस मनाने का सुझाव दिया. भारत की जनसंख्या वृद्धि की उचित तरीके से बढ़ोतरी हेतु यह दिवस भारत के लिए महत्वपूर्ण है.
पृष्ठभूमि
इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की गवर्निंग काउंसिल द्वारा पहली बार 1989 में विश्व आबादी का आंकड़ा पांच बिलियन पर पहुंचने पर की गई. संयुक्त राष्ट्र की गवर्निंग काउंसिल के फैसले के अनुसार, वर्ष 1989 में विकास कार्यक्रम में, विश्व स्तर पर समुदाय की सिफारिश के द्वारा यह तय किया गया कि हर साल 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
क्रोएशिआ के ज़ाग्रेब के माटेज गास्पर को दुनिया का पांच अरबवां व्यक्ति माना गया. गौरतलब है कि पहले इसे "फाइव बिलियन डे" माना गया लेकिन बाद में यूएनडीपी ने इसे विश्व जनसँख्या दिवस घोषित कर दिया.
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