World Rabies Day 2021: हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य रेबीज की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना है. रेबीज कुछ जानवरों के काटने से होने वाला संक्रमण है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक हर साल रेबीज से करीब 20 हजार लोगों की मौतें होती हैं.
विश्व रेबीज दिवस सबसे पहले 28 सितंबर 2007 में मनाया गया था. आपको बता दें कि इस साल ‘विश्व रेबीज दिवस’ (World Rabies Day 2021) का 15 वां साल है. इस दिवस का आयोजन डब्ल्यूएचओ द्वारा किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य ‘वर्ष 2030 तक रेबीज से शून्य मानव मृत्यु’ का लक्ष्य प्राप्त करना है.
विश्व रेबीज दिवस की थीम
विश्व रेबीज दिवस की हर साल अलग-अलग थीम होती है. विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day 2021) के लिए इस साल का विषय: ‘रेबीज: तथ्य, डर नहीं' है. इस थीम का मतलब लोगों के मन से डर को खत्म करना और तथ्यों से रूबरू कराना है.
विश्व रेबीज दिवस का उद्देश्य
विश्व रेबीज दिवस हर साल मनुष्यों और जानवरों पर रेबीज के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. यह दिन रेबीज जैसी घातक बीमारी से निपटने के लिए जानवरों की बेहतर देखभाल पर केंद्रित है.
विश्व रेबीज दिवस का महत्व
विश्व रेबीज दिवस को मनाने का उद्देश्य रेबीज पर जागरुकता फैलाने और बीमारी की रोकथाम को बढ़ावा देना है. रेबीज एक वायरल बीमारी है जो इंसानों और जानवरों में दिमाग की सूजन का कारण बनती है. बीमारी का लोगों में आतंक स्वीकार करने के लिए ये महत्वपूर्ण दिन है.
जानकारी फैलाने पर फोकस
यह दिवस जानवरों की बेहतर देखभाल और रेबीज जैसी प्रतिकूल स्थितियों से निपटने की जानकारी फैलाने पर फोकस करता है.
विश्व रेबीज दिवस का इतिहास
विश्व रेबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर 2007 को मनाया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अमेरिका और एलायंस फोर रेबीज कंट्रोल के बीच साझेदारी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अंतरराष्ट्रीय अभियान की शुरुआत दुनिया में रेबीज के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित होने के बाद की गई.
रेबीज के लक्षण
रेबीज के लक्षण बुखार आना, सिरदर्द, मुंह में अत्यधिक लार बनना, व्यावहारिक ज्ञान शून्य होना, मानसिक विक्षिप्तता, हिंसक गतिविधियां, अति उत्तेजक स्वभाव, अजीब तरह की आवाजें निकालना, शरीर में झनझनाहट होना, अंगों में शिथिलता आना और पैरालाइज हो जाना है.
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