World Wildlife Day 2023: जानें शहरीकरण कैसे प्रभावित कर रहा वन्यजीव संरक्षण को, जानें थीम सहित सब कुछ

वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने विश्व वन्यजीव दिवस को मानाने की पहल की थी. इस वर्ष का थीम 'पार्टनरशिप फॉर वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन' (Partnership for wildlife conservation) है.

 वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे-2023
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे-2023

विश्व वन्यजीव दिवस या वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे (World WildLife Day) प्रतिवर्ष 03 मार्च को वन्यजीव संरक्षण के बारें में लोगों को जागरूक करने और वन्यजीव और मानव सम्बन्ध के मध्य संतुलन बनाये रखने के लिए किये जा रहे प्रयासों को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है. 

दुनिया में बढ़ते शहरीकरण के प्रयासों के कारण आज के समय में वन्यजीव संरक्षण एक चुनौती बन गया है. विश्व वन्यजीव दिवस पर किये जा रहे प्रयासों से वनस्पतियों और वन्य जीव-जंतुओं को संरक्षण प्रदान करने में मदद मिलती है.

भारत सहित दुनिया भर के देशों में कई वन्य जीव सहित वनस्पतियों का अस्तित्व खतरे में है. इसलिए पूरे मानव समाज का यह दायित्व बनता है कि इन विलुप्त हो रहे वानिकी धरोहरों को संरक्षण प्रदान करने के लिए सार्थक प्रयास किये जाये.

विश्व वन्यजीव दिवस, थीम 2023:

विश्व वन्यजीव दिवस प्रतिवर्ष किसी विशेष थीम के आधार पर मनाया जाता है. इस बार का थीम पार्टनरशिप फॉर वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (Partnership for wildlife conservation) है. इसका अर्थ यह है कि संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया भर के देशों को वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन में भागीदारी दिखानी होगी और सामूहिक प्रयास की पहल करनी होगी.

कैसे हुई थी शुरुआत?

वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने इस दिवस को मानाने की पहल की थी. जिसका उद्देश्य वन्य जीवों की सुरक्षा के बारे में आमजन को जागरूक करना और उनके संरक्षण के लिए प्रेरित करना है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में घोषित किया. पहली बार 3 मार्च 2014 को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया था.

CITES की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ:

इस वर्ष वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) की 50वीं वर्षगांठ भी है. जिस कारण इस दिवस का महत्व और बढ़ जाता है. CITES को वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन पर एक ऐतिहासिक समझौता माना जाता है जो लुप्तप्राय प्रजातियों की स्थिरता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है. CITES दुनिया भर के बीच एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो 1973 में अस्तित्व में आया था. 

शहरीकरण कैसे प्रभावित कर रहा वन्यजीवन को?

आज का मानव समाज अपने सुख-सुविधा विभिन्न वास्तुशिल्प और ढांचागत संरचनाओं के लिए वनों का दोहन तेजी से कर रहा है. साथ ही बढ़ते शहरीकरण कल्चर के कारण आज के समय में वन्यजीवों सहित वन्य वनस्पतियों का अस्तित्व खतरें में है. 

तेजी से हो रहे शहरीकरण सतत विकास वन्यजीवों के अस्तित्व के लये खतरा बनता जा रहा है. साथ ही मानव समाज के लिए भी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियां पेश कर रहा है. साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-animal conflict) भी देखने को मिलते है.       

''जब जीवों की आखिरी सींग, दाँत, खाल और हड्डियाँ बिक जाएँगी, तभी मानव जाति को यह एहसास होगा कि पैसा कभी भी हमारे वन्य जीवन को वापस नहीं खरीद सकता है''. ~ पॉल ओक्सटन

अतः यह हमारा यह दायित्व बनता है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए हमें जरुरी उपाय करने होंगे, साथ पृथ्वी की जैव विविधता को बनाए रखने और वनों के संरक्षण के लिए आगे आना होगा.  

भारत में वन्यजीव संरक्षण:

भारत में वर्ष 1972 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम लाया गया था जो वन्यजीवों वनस्पतियों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन एवं विनियमन से सम्बंधित था. यह पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया था जो सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण उपक्रमों में से एक है.    

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