वैज्ञानिकों ने चिकनगुनिया के बुखार का पहला टीका विकसित कर लिया है. इस टीका को एक खास वायरस से तैयार किया गया है. इससे इंसानों पर कोई असर नहीं होता है. इस लिहाज से यह टीका कारगर भी है और प्रभावी भी.
टेक्सास विश्वविद्यालय में औषधि विभाग के शोधकर्ता स्कॉट वेवर ने बताया कि यह टीका सुरक्षित,सस्ता और प्रभावकारी है. जिस वायरस से इसे बनाया गया है, वह केवल कीटों को प्रभावित करता है. लिहाजा यह बहुत महंगी भी नहीं होगी.
उन्होंने बताया कि ईलैट के क्लोन से हाईब्रिड वायरस बनाया जो मच्छरों द्वारा फैलाए गए चिकनगुनिया वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है. यह एंटीबॉडी 290 दिनों तक प्रभावकारी रहती है और हमें वायरस से सुरक्षा करती है.
इसे 'ईलैट' या 'अल्फा वायरस' भी कहते हैं. यह वायरस मनुष्यों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता जबकि चिकनगुनिया पर पूरी तरह प्रभावकारी होता है. चूहों एवं अन्य स्तनधारियों पर शोध में पाया गया कि चिकनगुनिया से पीड़ित जीव को यह टीका लगाने पर उसके शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र विकसित होता है और बीमारी से उसकी सुरक्षा करता है.
चिकनगुनिया क्या है?
यह एडिस मच्छर के काटने से फैलने वाला वायरस है. इससे शुरु में तेज बुखार होता है जो कई दिनों तक बना रहता है. इस बीमारी में बुखार और जोड़ों में भारी दर्द होता है. चिकनगुनिया के चलते सिर दर्द, जोड़ों में दर्द-सूजन, मांसपेशियों में दर्द और कभी-कभी रैशेज भी हो जाते हैं.
इस बीमारी का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है, जिसके चलते जोड़ों में दर्द रहता है. कभी-कभी यह बीमारी जानलेवा भी साबित होता हैं. इसमे रोगियों को लम्बे समय तक जोडों की पीडा हो सकती जो उनकी उम्र पर निर्भर करती है.

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