वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा भारत में 1.6 अरब वर्ष पुराना लाल शैवाल खोजा गया. ऐसा माना जा रहा रहा है कि यह पृथ्वी पर खोजा गया सबसे प्राचीन शैवाल है.
स्वीडन के म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के शोधकर्ताओं ने इसे मध्य प्रदेश के चित्रकूट में खोजा है. इस खोज से पता चलता है कि आधुनिक बहुकोशिकीय जीवन पूर्व की सोच से बहुत पहले ही पनप चुका था.
खोज के मुख्य बिंदु
• अब तक धरती पर जीवन के जो सबसे पहले साक्ष्य मिले हैं वे कम से कम 3.5 अरब वर्ष पुराने हैं लेकिन ये एकल कोशिका वाले जीवों के हैं.
• पहले की खोजों की तुलना में बहुकोशिकीय जीव लगभग 60 करोड़ वर्ष पुराने हैं.
• वर्तमान खोज से पहले जिस लाल शैवाल की खोज हुई थी, वह 1.2 अरब वर्ष पुराना है.
• शोधकर्ताओं को लाल शैवाल जैसे दिखने वाले दो जीवाश्म चित्रकूट में चट्टानों के नीचे अच्छी हालत में मिले हैं.
• इस संबंध में पत्रिका पीएलओएस बायोलॉजी में रिपोर्ट प्रकाशित की गयी.
शैवाल
शैवाल अथवा एल्गी एक प्रकार के सरल सजीव हैं. अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं अर्थात् स्वपोषी होते हैं. ये नम भूमि, अलवणीय एवं लवणीय जल, वृक्षों की छाल, नम दीवारों पर हरी, भूरी या कुछ काली परतों के रूप में देखे जा सकते हैं.
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