अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-दो ने बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान युद्ध अपराध के लिए दोषी कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी के महासचिव अली एहसान मुहम्मद मुजाहिद को मौत की सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधिकरण ने यह सजा 17 जुलाई को सुनाई.
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-दो ने खचाखच भरी अदालत में 65 वर्षीय मुजाहिद को मौत की सजा सुनाई। जजों के तीन सदस्यीय पैनल के चेयरमैन जस्टिस ओबैदुल हसा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मुजाहिद को तक तब फांसी के फंदे पर लटकाए रखा जाए जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो जाती है। उन्होंने कहा कि मुजाहिद के खिलाफ लगाए गए सात आरोपों में पांच साबित हो गए हैं।
अदालत ने कई स्वतंत्रता समर्थक कार्यकर्ताओं की हत्या में निजी रूप से शामिल होने का दोषी ठहराते हुए उसे मौत की सजा सुनाई। मुजाहिद अल-बद्र मिलिशिया फोर्स का दूसरा प्रमुख व्यक्ति था। इसमें मुख्यत: जमात के तत्कालीन छात्र विंग के लोग शामिल थे। जिस समय उसे अदालत में लाया जा रहा था उस समय उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, लेकिन फैसला सुनाए जाने के बाद वह हैरान लग रहा था। अल बद्र ने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान प्रमुख शिक्षित बंगाली लोगों की हत्या की थी। मुजाहिद को क्रूरता का दोषी ठहराया गया है। उसे सजा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में उसके समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प होने की खबर है।
न्यायाधिकरण द्वारा जमात-ए-इस्लामी के 91 वर्षीय सुप्रीमो गुलाम आजम को 90 साल की सजा सुनाए जाने के दो दिन बाद यह फैसला आया है। आजम को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के दौरान क्रूरता का षडयंत्र रचने का दोषी ठहराया गया था।
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