30 नवंबर 2015 को अपनी समीक्षा में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने विशेष वर्ग के लिए आरक्षित मुद्राओं के बास्केट में चीन के युआन को शामिल करने का फैसला किया. इस बास्केट का उपयोग विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) के मूल्य की गणना में किया जाता है. युआन जिसे रेन्मिन्बी भी कहते हैं, अक्टूबर 2016 से अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन और ब्रिटिश पाउन्ड कि श्रेणी में शामिल हो जायेगा.
विशेष आहरण अधिकार ( एसडीआर) क्या हैं?
एसडीआर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा परिभाषित और रखरखाव किया जाने वाला अनुपूरक विदेशी मुद्रा आरक्षित संपत्ति है. इनका मूल्य आईएमएफ द्वारा प्रत्येक पांच वर्षों में की जाने वाली समीक्षा वाली प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं में से एक पर आधारित है.
एसडीआर बास्केट देशों को विनिमय दर में उतार– चढ़ाव से बचाता है. युआन के शामिल किए जाने के बाद, एसडीआर में पांच मुद्राएं शामिल हो जाएंगी– अमेरिकी डॉलर ( महत्व 41.73 फीसदी ), यूरो ( 30.93), पाउंड स्टर्लिंग ( 8.09), जापानी येन ( 8.33) और चीन का युआन ( 10.92 फीसदी).
एसडीआर बास्केट में प्रत्येक मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा भंडार में उनके वर्तमान हिस्से को ध्यान में रखते हुए महत्व (वेटेज) दिया गया है.
एसडीआर बास्केट में युआन के शामिल किए जाने के कारण
• चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और विश्व व्यापार में उसकी हिस्सेदारी बढ़ रही है.
• रेन्मिन्बी को शामिल किए जाने से बास्केट में विविधता आएगी और एसडीआर के आकर्षण में वृद्धि होगी तथा यह अधिक प्रतिनिधित्व वाला बनेगा.
• चीन के अधिकारियों द्वारा चीनी प्रतिभूतियों की खरीद में विदेशी संस्थागत निवेशकों पर नियंत्रण में ढील, ब्याज दरों और विनिमय दरों पर प्रतिबंध में ढील, हाल ही में शुरु किए गए शंघाई मुक्त व्यापार क्षेत्र में पूंजी के आने और जाने के अबाध प्रवाह की अनुमति और चीन के मुद्रा और बौंड बाजार के विकास के लिए किए गए प्रयासों जैसे विविध कदम
• चीन के पास अब पांच अपतटीय युआन व्यापारिक केंद्र हैं– हांगकांग, लंदन, सिंगापुर, ताईवान और सिडनी.
• साल 2013 में युआन ने परंपरागत व्यापार वित्त में यूरो को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में दूसरी सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा का स्थान ले लिया था.
• हाल ही मे एचएसबीसी ने अनुमान लगाया है कि साल 2008 से प्रत्येक वर्ष चीन के बाहर युआन में नामित बेचे जाने वाली बौंड की राशि दुगुनी हो गई है.
चीन और बाकी दुनिया को इससे लाभ
• यह चीन की आर्थिक शक्ति और आधुनिक विश्व में इसके वास्तविक भूमिका की सकारात्मक पुष्टि है .
• रिजर्व का दर्जा चीनी व्यापारों के लिए वैश्विक व्यापार और वित्त पोषण को सस्ता करेगा. यह चीन के व्यापक आर्थिक प्रबंधन के लिए बेहतर नींव का निर्माण करेगा.
• यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में एशियाई शक्ति को महत्व प्रदान करेगा .
• युआन की स्थिरता ब्रिक्स देशों के लिए काफी लाभ पहुंचाएगी और मुद्रा के जोखिम को भी कम करेगी.
• युआन का विनिमय दर ब्रिक्स देशों की मुद्राओं के बीच अपेक्षाकृत स्थिर है और विश्व व्यापार और निवेश में व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है.
• भारत जैसे कई देशों का चीन के साथ व्यापार घाटा चल रहा है और उन्हें युआन की जरूरत है, दूसरी तरफ अफ्रीका के कई देशों का चीन के साथ व्यापार अधिशेष है और वे युआन जमा कर रहे हैं. रेन्मिन्बी को एसडीआर में शामिल करना इन देशों को मुद्रा बाजार में व्यापार करने की अनुमति देगा.
• हालांकि,इसका दूसरा पक्ष भी है. युआन के शामिल होने के साथ ही आरंभिक अवधि में भारतीय आयातकों को आरएमबी–आईएनआर विनिमय दर जोखिम का सामना करना पड़ सकता है.
चीन के समक्ष चुनौतियां
• युआन को वास्तिवक संरक्षित मुद्रा बनाने के लिए चीन के पास सिर्फ एक वर्ष का समय है. उसे मुफ्त व्यापार के लिए सभी प्रतिबंधों को हटाना होगा और युआन को स्वतंत्र रूप से परिवर्तनीय मुद्रा बनाना होगा.
• विभिन्न उदार पश्चिमी लोकतंत्र के मुकाबले चीन का राजनीतिक जोखिम निवेशकों के लिए उससे भी बड़ी दीर्घकालिक चुनौती साबित होगी. बीजिंग के लिए निवेशकों को यह आश्वस्त करना कि उसका केंद्रीय बैंक एक स्वतंत्र संस्था है, अधिक कठिन होगा.
• अधिकारियों द्वारा अवमूल्यन की वजह से पारदर्शिता और स्थिरता में कमी, युआन के लिए एक और चुनौती होगी.
भारतीय रुपये की स्थित क्या होगी?
भारत भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की ताकत बढ़ाने और अपने निवेश एवं व्यापार नियमों को उदार बनाकर अपनी मुद्रा की पहुंच में विस्तार करने की महत्वाकांक्षा रखता है.
आरबीआई और सरकार द्वारा मुक्त रूपये के लिए कई कदम उठाए गए हैं जैसे– "मसाला बौंड" के साथ अपतटीय रुपय ऋण जुटाने के लिए कंपनियों को अनुमति देना और विदेशी निवेशकों को रुपये ऋण तटवर्ती (रुपी डेब्ट ऑनशोर) में अधिक निवेश करने की अनुमति देना.
भारत में व्यापक आर्थिक स्थिरता को लेकर चिंता का अर्थ है "बिग बैंग" मुद्रा सुधारों के में पर्याप्त प्रयत्न की कमी. विश्व पैमाने पर भारत को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रमुख संरचनात्मक सुधार अभी आरंभिक चरण में हैं और मुद्रा की दौड़ में आने के लिए भारत को अभी एक दशक से अधिक का समय लगेगा.
निष्कर्ष
सृष्टि का प्रत्येक परिवर्तन अपने गुण और दोष के साथ आता है. आरएमबी को एसडीआर में शामिल करने को चीन और शेष दुनिया के लिए सकारात्मक दृष्टि से देखा जाना चाहिए. विविधता के साथ यह डॉलर जैसी अन्य मुद्राओं पर निर्भरता को कम करेगा और वित्तीय व्यवस्था में अधिक स्थिरता लाएगा.
हालांकि डॉलर अभी भी प्रमुख भंडार मुद्रा बना हुआ है और दुनिया के समग्र भंडार का करीब 62 फीसदी पर इसका कब्जा है, नीतिनिर्माताओं और निवेशकों को एक ऐसी दुनिया के लिए तैयार होना चाहिए जहां युआन एक शक्तिशाली भूमिका निभाने वाला है.
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