वर्ष 2009 के ज्ञानपीठ पुरस्कार हेतु हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल को संयुक्त तौर पर और वर्ष 2010 के ज्ञानपीठ पुरस्कार हेतु कन्नड़ के प्रसिद्ध साहित्यकार चंद्रशेखर कंबर को चयनित किया गया.
भारत में साहित्य के शीर्ष सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के चयन समिति के अध्यक्ष डॉ सीताकांत महापात्र ने 20 सितंबर 2011 को 45वें (वर्ष 2009) और 46वें (वर्ष 2010) ज्ञानपीठ पुरस्कारों की घोषणा की. चयन समिति के अनुसार संयुक्त पुरस्कार के रूप में अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल को पांच-पांच लाख रुपये नकद प्रदान किए जाने हैं, जबकि कंबर को सात लाख रुपये की राशि मिलनी है.
श्रीलाल शुक्ल का लोकप्रिय व्यंग्य उपन्यास राग दरबारी है. इसके अलावा उनकी प्रमुख कृतियों में मकान, सूनी घाटी का सूरज, पहला पड़ाव, अज्ञातवास, विश्रामपुर का संत इत्यादि है. कथा साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिए श्रीलाल शुक्ल जाने जाते हैं. श्रीलाल शुक्ल इससे पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार (राग दरबारी के लिए) और पद्मभूषण से भी सम्मानित हो चुके हैं.
अमरकांत के प्रसिद्ध उपन्यासों में कंटीली राह के फूल, इन्हीं हथियारों से, सूखा पत्ता, काले उजले और बीच की दीवार इत्यादि हैं. इसके अलावा उनके कहानी संग्रह में जिंदगी और जोंक, देश के लोग, मौत का नगर, मित्र मिलन और कुहासा प्रमुख है. उनके 12 उपन्यास, 11 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. अमरकांत को लेखन में आम आदमी के संघर्ष को भाषा व अभिव्यक्ति देने के लिए जाना जाता है. इन्हीं हथियारों से नामक उपन्यास के लिए इन्हें वर्ष 2007 में साहित्य अकादमी सम्मान मिल चुका है.
वर्ष 2010 के ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयनित कन्नड़ के प्रसिद्ध साहित्यकार चंद्रशेखर कंबर उपन्यासकार और नाटककार हैं. इनके प्रमुख काव्य संग्रह में तकारारीनावारू (Takararinavaru), साविरदा नेरालू (Saavirada Neralu) और चाकोरी हैं. जबकि इनके प्रमुख नाटक हैं - जोकुमारास्वामी, हाराक्या कुरी (Harakeya Kuri), जयसिंधनायका और चेलशा इत्यादि हैं. इन्हें साहित्य अकादमी सम्मान और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है.
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