25 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ मिलकर गुड़गांव के ग्वालपहाड़ी में राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) में इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) के मुख्यालय की नींव रखी.
उन्होंने इसी स्थान पर आईएसए के अंतरिम सचिवालय का भी उद्घाटन किया.
भारत ने एनआईएसई में आईएसके के सचिवालय के लिए पांच एकड़ जमीन और आईएसए कॉर्पस फंड के लिए 175 करोड़ रुपये का योगदान, शुरुआती पांच वर्षों के लिए दिया है. इसके बाद इसके खुद के संसाधन पैदा करने और स्व– वित्तपोषित बन जाने की उम्मीद है.
इंटरनेशनल सोलर अलायंस के बारे में
• 30 नवंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी21) के दौरान भारत और फ्रांस ने मिलकर इसकी शुरुआत पेरिस में की थी.
• यह भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय और 121 देशों का अंतर– सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय भारत में और रणनीतिक भागीदार संयुक्त राष्ट्र है.
• ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और सतत विकास के लिए यह सौर ऊर्जा तकनीकों के इस्तेमाल के लिए यह सहयोगी मंच तैयार करता है.
• यह ग्रामीण और सूदूर इलाकों में ऊर्जा और बेहतर आजीविका के अवसरों तक पहुंच को बढ़ाने और जीवन स्तर में सुधार लाने कि दिशा में कार्य करेगा.
• यह विकास में तेजी लाने और मौजूदा सौर ऊर्जा तकनीकों, जिसकी क्षमता का अभी भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, के लिए भागीदार देशों के साथ मिलकर परियोजनाओं और कार्यक्रमों को तैयार करेगा.
• यह पूंजीगत लागत को कम करने के लिए नए वित्तीय तंत्रों को विकसित करेगा और आम जानकारी वाला ई– पोर्टल बनाएगा.
• यह सौर तकनीकों के प्रोत्साहन और समावेशन के लिए क्षमता निर्माण और सदस्य देशों के बीच अनुसंधान एवं विकास की सुविधा प्रदान करेगा.
• यह आईआरईएनए, आरईईईपी, आईईए, आरईएन21, संयुक्त राष्ट्र निकाय, द्विपक्षीय संगठन, कॉरपोरेट, उद्योग और अन्य हितधारकों को सदस्य देशों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने के लक्ष्य की दिशा में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
• इसकी शासी संरचना में असेंबली, काउंसिल (परिषद) और एक सचिवालय है.
• असेंबली गतिविधियों को संचालित करने के लिए मार्गदर्शन, दिशा और परामर्श प्रदान करेगा.
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