आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग घोटाले की जांच के लिए गठित 3 सदस्यीय जांच समिति ने कोलकाता में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक में अपनी रिपोर्ट 29 जुलाई 2013 को सौंपी. जांच समिति को चेन्नई सुपरकिंग्स, इंडिया सीमेंट्स, राजस्थान रॉयल्स तथा उसके सह-मालिक राज कुंद्रा के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला.
इस समिति का गठन चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक एन. श्रीनिवासन के दामाद और टीम प्रिंसिपल गुरूनाथ मयप्पन तथा राजस्थान रायल्स और उसके सह मालिक राज कुंद्रा की भूमिका की जांच करने के लिये किया गया था. इस 3 सदस्यीय जांच समिति के सदस्य उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों टी जयराम चौटा और आर बाला सुब्रमण्यम के अलावा बीसीसीआई के तत्कालीन सचिव संजय जगदाले थे.
जांच समिति की यह रिपोर्ट अब आईपीएल संचालन परिषद के पास भेजी जाएगी, जो 2 अगस्त 2013 को नयी दिल्ली में होने वाली अपनी बैठक में अंतिम फैसला करेगी.
विदित हो कि आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामला तब सामने आया था जब पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज एस श्रीसंत और राजस्थान रॉयल्स के उनके दो साथियों अजित चंदीला और अंकित चव्हाण तथा 11 सट्टेबाजों के आईपीएल में कथित स्पॉट फिक्सिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया. संकट तब और बढ़ गया जब 26 मई 2013 को चेन्नई टीम के टीम प्रिसिंपल और श्रीनिवासन के दामाद मीयप्पन को सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
एन. श्रीनिवासन ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया लेकिन 2 जून 2013 को वह जांच लंबित होने तक अपने कार्य का निर्वहन नहीं करने के लिए तैयार हो गए थे. उन्होंने यह कदम जगदाले और तत्कालीन कोषाध्यक्ष अजय शिर्के के त्यागपत्र के बाद उठाया था जिन्होंने एन. श्रीनिवासन से नैतिक आधार पर इस्तीफा मांगा था.
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