भारतीय रिजर्व बैंक ने 24 सितंबर 2013 को विदेश से पूंजी जुटाने संबंधी विनियमों में ढील दी. आरबीआई ने जारी की गयी अपनी अधिसूचना में स्पष्ट किया कि सभी तरह की कंपनियां पूंजीगत वस्तुओं के आयात हेतु व्यापार वित्त सुविधा का लाभ ले सकती हैं.
आरबीआई ने अपनी समीक्षा में स्पष्ट किया कि विदेशी व्यापार महानिदेशालय के वर्गीकरणों के अनुरूप सभी क्षेत्रों की कंपनियों को व्यापार वित्त सुविधा लाभ अधिकतम 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सीमा तक और अधिकतम पांच वर्ष की अवधि के लिए लिया जा सकता है.
विदित हो कि इससे पूर्व सिर्फ अवसंरचनात्मक क्षेत्र की कंपनियां ही इस तरह के उपायों से विदेशी पूंजी का प्रवाह सुनिश्चित कर सकती थीं.
साथ ही, रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया कि बैंक भी विदेशी आपूर्तिकर्ताओं, बैंकों व वित्तीय संस्थाओं के पक्ष ऋण-पत्र/गारंटी/एलओसी पांच वर्ष से अधिक की अवधि के लिए जारी नहीं कर सकते हैं.
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