इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति/जनजाति के कर्मियों की पदावनति पर 3 अगस्त 2015 को रोक लगा दी. इसके तहत न्यायालय ने प्रोन्नतियों में आरक्षण के तहत प्रोन्नत किए गए अनुसूचित जाति/जनजाति के कर्मचारियों को पदावनत किए जाने पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई.
उपरोक्त आदेश न्यायमूर्ति राकेश तिवारी और न्यायमूर्ति मुख़्तार अहमद की खंडपीठ ने अनुसूचित जाति/जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. याचिका में अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मियों को पदावनत किए जाने के राय सरकार के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मियों का प्रतिनिधित्व अभी अधूरा है. एक आयोग बनाया जाए जो सभी विभागों में इसका डाटा तैयार करे और ऐसा होने तक पदावनति न की जाए.
विदित हो कि उत्तर-प्रदेश सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण व परिणामी श्रेष्ठता के आधार पर प्रमोशन पाने वाले सभी अफसर व कर्मचारियों को पदावनत किए जाने का फैसला किया था. इसके लिए सभी विभागों से पदोन्नतियों का ब्यौरा तलब किया गया था और 10 अगस्त 2015 तक सारी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था. याचिका दाखिल कर सरकार के इसी फैसले को चुनौती दी गई थी.
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