भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने उत्तर हड़प्पा काल (1900-1800 ईसा पूर्व) से संबंधित एक घर की खोज की. घर के शेष अवशेषों का उत्तर प्रदेश में बागपत के चन्दयान गाँव में खुदाई के दौरान पता चला है. यह गंगा और यमुना के बीच ऊपरी दोआब क्षेत्र में उत्तर हड़प्पा काल के संबंधित बस्ती के पहली बार सबूत के रूप में अवशेष हैं.
उत्तर प्रदेश स्थित बागपत में हड़प्पा संस्कृति काल के ये अवशेष मिले हैं. खुदाई के दौरान एक कंकाल मिला जिसके सिर पर तांबे का ताज है. मजदूरों द्वारा खुदाई में प्राप्त तांबे के ताज में लाल मोतियों का भी प्रयोग किया गया. इसके अलावा इस खुदाई में मजदूरों को कुछ मिट्टी के बर्तन भी मिले. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के उत्खनन विभाग के अनुसार इस स्थान पर हड़प्पा संस्कृति की बसावट रही होगी. इसके आसपास के क्षेत्रों में कई छोटे टीले हैं जिनमें खुदाई करने से इतिहास के कई काल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारीयां प्राप्त की जा सकती है. वहां से मिली वस्तुएं 2500-1700 ईसा पूर्व की है. यह काल हड़प्पा संस्कृति का काल है. वर्ष 2005 में एक किसान ने संयोग से चंदयान गांव से सिर्फ 40 किमी दूर एक विशाल अंत्येष्टि स्थल की खोज की थी. इस खोज का उसी कड़ी के अंतर्गत विश्लेषण किया जा रहा है.
उत्तर हड़प्पा काल के बारे में
सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी. यह हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है. उत्तर हड़प्पा चरण इस सभ्यता के ह्रास एवं पतन के लिये जाना जाता हैं. हड़प्पा सभ्यता का विकास 1300 - 3300 ईसा पूर्व के बीच सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ. मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र थें. ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं.
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