‘द नैरो रोड टू द डीप नॉर्थ': रिचर्ड फ़्लैनागन
‘द नैरो रोड टू द डीप नॉर्थ' (The Narrow Road to the Deep North) नामक पुस्तक ऑस्ट्रेलियाई लेखक रिचर्ड फ़्लैनागन (Richard Flanagan) द्वारा अंग्रेजी भाषा में लिखित एक उपन्यास है. इस उपन्यास के लिए लेखक रिचर्ड फ़्लैनागन को वर्ष 2014 के मैन बुकर पुरस्कार (Man Booker Prize) से पुरस्कृत किया गया. उन्हें यह पुरस्कार लंदन के गिल्डहाल में एक समारोह में डचेस ऑफ कॉर्नवाल में 14 अक्टूबर 2014 को प्रदान किया गया.
द नैरो रोड टू द डीप नॉर्थ' (The Narrow Road to the Deep North) तस्मानिया में जन्में 53 वर्षीय रिचर्ड फ्लैनागन का छठा उपन्यास है, जिसकी कथा वस्तु द्वितीय विश्वयुद्ध में थाइलैंड- बर्मा डेथ रेलवे के निर्माण के दौरान के कालखंड के घटनाक्रमों को समेटे हुए है.
मैन बुकर पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष एसी ग्रेलिंग ने इस उपन्यास को 'एक शानदार प्रेम कथा और साथ ही मानवीय पीड़ा और साहस की अद्भुत गाथा' बताया. चयन समिति ने कहा कि यह उपन्यास इस युद्ध में फंसे सभी लोगों के संबंध में बताती है कि उन्हें इसकी कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी.
उपन्यास ‘द नैरो रोड टू द डीप नॉर्थ' नायकवाद के अर्थ पर सवाल उठाते हुए उन वजूहात को तलाशती है, जो किसी को भी नृशंसता की चरम सीमाओं को पार करने वाली गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रेरित करती है. यह सवाल उठाती है कि क्यों कोई इंसान हैवानियत की सारी सीमाओं के परे चला जाता है. इसमें यह भी बताया गया है कि ऐसी नृशंसता के शिकार न केवल पीड़ित, बल्कि उन्हें अंजाम देने वाले भी होते हैं.
विदित हो कि जिस दिन रिचर्ड फ्लैनागन ने अपने इस उपन्यास की अंतिम पंक्ति को पूरा किया, उसी दिन उनके 98-वर्षीय पिता का निधन हो गया. वह स्वयं रेलवे की त्रासदी से जिंदा बचे लोगों में शामिल थे. इस रेलवे का निर्माण वर्ष 1943 में युद्धबंदियों और बंधुआ मजदूरों ने किया था.
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