एचआईवी का त्वरित विस्तार एड्स फैलाने की क्षमता को कम करता हैः अध्ययन

Dec 4, 2014, 11:47 IST

एक अध्ययन से पता चला है कि ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस ( एचआईवी) का त्वरित विस्तार  एक्वायर्ड इम्यून डिफिसिएंसी सिंड्रोम ( एड्स)  फैलाने की इसकी क्षमता को कम करता है.

एक अध्ययन से पता चला है कि ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस ( एचआईवी) का त्वरित विस्तार  एक्वायर्ड इम्यून डिफिसिएंसी सिंड्रोम ( एड्स)  फैलाने की इसकी क्षमता को कम करता है.  यह खोज 1 दिसंबर 2014 को प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस (पीएनएएस) नाम के जरनल में प्रकाशित हुआ था.

यह अध्ययन प्रोफेसर फिलिप गाउल्डर और उनकी टीम ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नफ्फिल्ड डिपार्टमेंट ऑफ मेडीसिन में की.

अध्ययन के उपकरण
गाउल्डर की टीम ने अपना अध्यनन बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका – दो ऐसे देश जहां एड्स के मामले बहुत अधिक हैं, में किया.

शुरु करने के लिए उन्होंने सबसे पहले एचआईवी वाली 2000 गर्भवती महिलाओं का नाम दर्ज किया और इस बात की जांच कि कि क्या शरीर के प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और एचआईवी के बीच तालमेल  इस वायरस को कम संक्रामक बनाता है या बीमारी पैदा करने में सक्षम करता है.

अध्ययन के दूसरे हिस्से में, उन्होंने एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) का एचआईवी संक्रमण पर प्रभावों की जांच की.

अध्ययन का निष्कर्ष
• टीम ने दिखाया कि इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस का कमजोर पड़ना उसके त्वरित फैलाव और समय के साथ रुप बदलने की क्षमता (म्यूटेट) की वजह से होता है.
• किसी व्यक्ति में HLA-B*57 नाम का जीन एचआईवी वायरस के खिलाफ संरक्षण का काम करता है. अध्ययन से पता चला कि वायरस ने जीन को अपना लिया है जिससे यह जीन अब संरक्षण प्रदान करने का काम नहीं कर पाता.
• हालांकि, इस बात का अप्रत्याशित परिणाम यह हुआ कि वायरस का रूप परिवर्तन भी कमजोर पड़ा और उसके पुनः  (रेप्लिकेट) होने की क्षमता को कम कर दिया. ऐसा होने के पीछे एक वजह एचआईवी दवाओं का बढ़ता प्रयोग हो सकता है.

अध्ययन का महत्व
• एचआईवी के भयावहता को प्रभावित करने वाले कारक एचआईवी महामारी के उन्मूलन के जारी प्रयासों के लिए प्रासंगिक हैं.
• एचआईवी HLA-B*57 नाम के जीन के अनुकूल है जो दक्षिण अफ्रीका में अपने प्रभाव के विपरीत बोत्सवाना में कोई सुरक्षात्मक प्रभाव नहीं दिखाता.
• मॉडलिंग अध्ययनों से इस बात का संकेत मिलता है कि एंटीरेट्रोवाइरस थेरेपी की अधिक लोगों तक पहुंच आने वाले दशकों में एचआईवी प्रचंडता को कम करने में योगदान कर सकता है.

 

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