9 नवंबर 2015 को क्रोएशिया में एचडीजेड पार्टी नीत विपक्षी क्रोएशियन डेमोक्रैटिक यूनियन ने संसदीय चुनाव जीता लिया. साल 2013 में बाल्कन देश क्रोएशिया के यूरोपीय संघ (ईयू) में शामिल होने के बाद ये पहला संसदीय चुनाव था.
वोटों की 99.5 फीसदी गिनती के आधार पर पूर्व खुफिया प्रमुख तोमिस्लाव कारामार्को की अध्यक्षता वाली विपक्षी कंजरवेटिव एचडीजेड पार्टी ने 151 सीटों वाले संसद में 59 सीटें जीतीं. दूसरी तरफ, वर्तमान प्रधानमंत्री जोरान मिलानोविक की अध्यक्षता वाली सत्तारुढ़ सोशल डेमोक्रेट्स ( एसडीपी) पार्टी ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की.
हालांकि किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला और वे सरकार बनाने के लिए बहुमत से 76 सीट कम हासिल कर पाए. अब सरकार बनाने के लिए चुनावों में जीत दर्ज करने वाली छोटी पार्टियों पर निर्भर करना होगा खासकर एमओएसटी या ब्रिज पार्टी पर.
एमओएसटी स्वतंत्र उम्मीदवारों का गठबंधन है और 19 सीटों पर जीत के साथ यह शक्तिशाली ताकत के रूप में उभरा है
चुनाव का मुख्य मुद्दा
सीरिया, अफगानिस्तान और इराक से आने वाले प्रवासियों के लिए पारगमन केंद्र बने इस बाल्कन देश में 2015 का मुख्य मुद्दा पलायन संकट था. आने वाले लोगों के प्रबंधन पर होने वाला खर्च 2 मिलियन कुना ( 284000 डॉलर) प्रति दिन था.
इसके अलावा, क्रोएशिया की कमजोर अर्थव्यवस्था अकेले ही मुख्य मुद्दा थी. यहां बेरोजगारी 15.4 फीसदी है जो कि यूरोपीय संघ में ग्रीस और स्पेन के बाद सर्वाधिक है . विकास बहुत कम हुआ है यहां क्योंकि यह देश पिछले छह साल से मंदी की मार झेल रहें हैं.
सरकार बनाने पर क्रोएशियाई संविधान
संविधान के अनुसार क्रोएशिया के राष्ट्रपति को संसदीय दलों से परामर्श करने के बाद विधिनिर्माताओं का समर्थन प्राप्त करने वाले एक प्रधानमंत्री को मनोनीत करना चाहिए. अगर मनोनीत प्रधानमंत्री दो महीनों के भीतर नई सरकार का गठन करने में विफल रहते हैं तो नए सिरे से चुनाव कराए जाते हैं.
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