केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने 14 जुलाई 2014 को राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईपीईआर), हैदराबाद में राष्ट्रीय बल्क ड्रग्स शोध एवं विकास केंद्र (एनसीआरडीबीडी) की स्थापना का निर्णय लिया.
एनसीआरडीबीडी बल्क ड्रग्स के अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में विद्यमान कमीं को पूरा करने का काम करेगा. इसको स्थापित करने में कुल 52 करोड़ रुपये लगेंगे और पांच वर्षों के लिए इसका संचालन लागत 37 करोड़ रुपये रहने का अऩुमान है.
राष्ट्रीय बल्क ड्रग्स शोध एवं विकास केंद्र से संबंधित तथ्य
• बल्क ड्रग्स के क्षेत्र में एनसीआरडीबीडी नए अनुसंधान एवं विकास का प्रदाता होगा.
• यह विशेष क्षेत्रों के उत्पादों और प्रक्रियाओं के लिए प्रतिस्पर्धी एवं पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों की पेशकश करेगा.
• यह सुधार एवं अनुकूलन के लिए केंद्रीय अनुसंधान सुविधाएं एवं प्रौद्योगिकियां, विश्लेषणात्मक सुविधाएं एवं परामर्श सेवाएं भी देगा.
• यह एमएसएमई क्षेत्र के सशक्तिकरण पर विशेष जोर देगा.
एनसीआरडीबीडी की जरूरत क्यों पड़ी?
बल्क ड्रग्स के क्षेत्र में प्रदर्शन फार्मास्युटिकल क्षेत्र के समग्र क्षमता और लागत प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक है. भारत में बल्क ड्रग्स बनाने वाली करीब 2500 निर्माण इकाईयां हैं.
बल्क ड्रग उद्योग का 2012–13 में अनुमानित टर्नओवर 12.5 अरब डॉलर का था. करीब 110 करोड़ अमेरिकी डॉलर के वैश्विक बल्क ड्रग्स मार्केट में इसकी भागीदारी करीब दस फीसदी है.
हालांकि, महत्वपूर्ण बल्क ड्रग्स का आयात 2011 से 2013 की अवधि में घरेलू बल्क ड्रग्स के उत्पादन में 17% के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की तुलना में 18% के सीएजीआर से हुई. इससे अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति पर बढ़ती निर्भता का संकेत मिलता है. इसके अलावा कुल आयात का 60% से अधिक एक ही देश से आता है.
एनसीआरडीबीडी की स्थापना इन चिंताओँ को दूर करने और इस उद्योग को लागत प्रभावी बनाने के लिए की जा रही है. बल्क ड्रग्स उद्योग में कम प्रक्रियाएं एवं उन्नत प्रौद्योगिकी लागत को कम करने में मदद कर सकती हैं.
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