राज्यसभा ने जीवन बीमा निगम (संशोधन) बिल 2009 (The Life Insurance Corporation (Amendment) Bill, 2009) को 14 दिसंबर 2011 को अपनी मंजूरी प्रदान की. इस संशोधन बिल ने एलआईसी एक्ट, 1956 ( The Life Insurance Corporation Act, 1956) का स्थान लिया. विधेयक पर लाए गए माकपा सदस्यों तपन कुमार सेन और मोइनुल हसन के संशोधन को सदन ने 28 के मुकाबले 58 मतों से नकार दिया. लोकसभा में यह विधेयक 12 दिसंबर 2011 को पारित हुआ.
जीवन बीमा निगम (संशोधन) बिल 2009 में एलआईसी की कार्यपूंजी पांच करोड़ रुपए से बढ़कर एक अरब हो जाने का प्रावधान है. विधेयक में एलआईसी के मूल्यवान अधिशेष की सीमा को 95 प्रतिशत से घटाकर 90 प्रतिशत करने के प्रावधान है. अर्थात 90 प्रतिशत एलआईसी सरप्लस का आवंटन एलआईसी के पॉलिसीधारकों के लिए किया जाएगा.
विदित हो कि बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) के मुताबिक किसी भी बीमा फर्म की पूंजी 100 करोड़ रुपए होना जरूरी है. संशोधन के बाद एलआईसी भी इसी श्रेणी में आ गई.
देश में एलआईसी के 16 लाख एजेंट हैं. सवा लाख कर्मचारी और 26 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा एलआईसी की पॉलिसी में लगा हुआ है.
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