3 फरवरी 2015 को भारतीय रिजर्व बैंक ने सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) को 22 फीसदी से 50 आधार अंक कम कर 21.5 फीसदी कर दिया. इसकी वजह से वाणिज्यिक बैंक 4500 करोड़ रुपयों की अतिरिक्त तरलता को मुद्रा बाजार में मुफ्त में लाने में सक्षम हो जाएंगे. एसएलआर में कमी स्वागत योग्य कदम है क्योंकि यह कमी सरकारी प्रतिभूतियों को अनलॉक करने और अधिक उत्पादक प्रयोग के लिए इसे मुद्रा बाजार में उपलब्ध कराने में मदद करेगा.
इसके अलावा कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) के बजार एसएलआर में कमी बैंकों को अपना पोर्टफोलियो सरकार की बजाए निजी क्षेत्र और कम उत्पादक क्षेत्र की जगह अधिक उत्पादक क्षेत्र के पक्ष में करने में सक्षम बनाएगा.
एसएलआर में कमी के साथ आरबीआई ने सरकारी प्रतिभूतियों के लिए बाजार को छोटा कर दिया है औऱ इसके साथ ही निजी क्षेत्र के ऋण उपलब्धता का विस्तार भी.सरकार के लिए फंड की लागत में बढ़ोतरी होगी और निजी क्षेत्रों को बैंकों द्वारा लगाए जाने वाली दरों में कमी आएगी.
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