26 अगस्त 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ओमान के साथ नागरिक और वाणिज्यिक मामलों में परस्पर कानूनी सहायता संधि पर हस्ताक्षर करने और समर्थन को मंजूरी दे दी.
इस समझौता वर्ष 2003 से ही क्रियान्वयन की प्रक्रिया हेतु परस्पर संवाद के आभाव में रुका हुआ था औऱ अनुसमर्थन के आदान–प्रदान के 30 दिनों के बाद से अस्तित्व में आ जाएगा.
परस्पर कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के अधीन कवर किए जाने वाले क्षेत्र
न्यायिक आदेशों, समन और अन्य कानूनी एवं न्यायिक दस्तावजों या प्रक्रिया सेवा.
अनुरोध के माध्यम से सबूत लेना.
न्याय, निपटान और पंचायती फरमानों का निष्पादन.
लागू होने से पहले या बाद में नागरिक और व्यावसायिक मामलों से संबंधित पारस्परिक कानूनी सहायता हेतु अनुरोध.
जब तक कि अनुरोध करने वाला देश, उस अनुरोध के साथ अनुपालन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा सार्वजनिक नीति का उल्लंघन न समझे, तब तक सम्मन और अन्य न्यायिक दस्तावेजों की सेवा इस आधार पर खारिज नहीं की जाएगी कि अनुरोध मामले के पक्ष में पर्याप्त सबूत नहीं दे पाया.
समझौते के प्रावधान नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के प्रावधानों और पंचाट एवं सुलह अधिनियम, 1996 के अनुरूप है. इन अधिनियमों में किसी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी. इसके अलावा सीपीसी भारत और दूसरे देशों के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं करता है.

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