वयोवृद्ध कन्नड़ गायक नेदानुरैई कृष्णमूर्ति का 87 वर्ष की आयु में 8 दिसंबर 2014 को विशाखापत्तनम में निधन हो गया. उनका फेफड़ों के कैंसर का इलाज चल रहा था.
नेदानुरैई कृष्णमूर्ति
- वे ब्रिटिश भारत के तत्कालीन हैदराबाद राज्य के कोथापल्ली में 10 अक्टूबर 1927 को जन्मे थे.
- उन्होंने वर्ष 1940 के शुरुआत में विजयनगरम के महाराजा संगीत कॉलेज में द्वारम नरसिंगा राव नायडू के साथ कन्नड़ संगीत में प्रशिक्षण (गायन और वायलिन) प्राप्त किया.
- कन्नड़गायक, श्रीपद पिनाकापाड़ी के मार्गदर्शन में संगीत की अपनी एक नई शैली विकसित की.
- वे विजयवाड़ा, सिकंदराबाद और विशाखापत्तनम के सरकारी संगीत और नृत्य कॉलेज के प्रधानाचार्य भी रहे.
- संगीत के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान में आंध्र प्रदेश के 15वीं सदी के संत-संगीतकार अन्नमाचार्य की 108 रचनाओं की धुन पर आधारित राग की रचना शामिल है.
उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जो निम्न हैं-
• श्री त्यागराज सेवा रत्न 2011
• संगीता कालाक्षमानी 2011
• अस्थाना विद्वान 2010
• प्रतिभा राजीव पुरस्कार 2006
• राष्ट्रीय महान पुरस्कार 2006
• राष्ट्रीय कलाकार पुरस्कार 2004
• राजा लक्ष्मी पुरस्कार 2002
• संगीत रत्नम पुरस्कार 2000
• गण काला भारती पुरस्कार 1993
• संगीता कलानिधि पुस्कार 1991
• स्वर विलास पुरस्कार 1981
• संगीता चूड़ामणी पुरस्कार 1976
कन्नड़ संगीत-
चार भारतीय राज्यों, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु तक ही कन्नड़ संगीत सीमित है. कन्नड़ संगीत, सामान्यतः भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी भाग के साथ जुड़े संगीत की एक विधा है. कर्नाटक संगीत में मुख्य जोर मुखर संगीत पर है और भारतीय शास्त्रीय संगीत की मुख्य उप शैलियों में से एक है जो प्राचीन हिंदू परंपराओं द्वारा विकसित किया गया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation