छिपकली की एक नई प्रजाति जो आमतौर पर गर्म जलवायु में पाई जाती है को उस्मानिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हैदराबाद, कर्नाटक के हम्पी में एक विश्व विरासत स्थल में खोजा है.
छिपकली की इस प्रजाति का नाम हैदराबाद के युवा सरीसर्प वैज्ञानिक आदित्य श्रीनिवासुलु के नाम पर ‘सीनेमास्पिस आदी’ रखा गया.
इस छिपकली की खोज की पुष्टि जोटक्सा पत्रिका के नवीन अंक में ओस्मानिया विश्विद्यालय के प्राणी विज्ञान विभाग के शोधकर्ता चेल्माला श्रीनिवासुलु, भार्गवी श्रीनिवासुलु और जी चेतन कुमार के एक लेख में की गई है.
इस प्रजाति की खोज 2012 में हुई थी जब टीम हम्पी में चमगादड़ों के स्थान का सर्वेक्षण कर रही थी तब छिपकली की यह प्रजाति हम्पी के खंडहर में एक मंदिर की दीवार पर पाई गई थी.
छिपकली की इस प्रजाति की आँखों की पुतलियाँ छिपकलियों की अन्य प्रजातियों के तरह गोल ना होकर लम्बवत होती हैं.
खोज का महत्व
इस खोज का बहुत महत्व है क्योंकि इससे पहले छिपकलियों की यह प्रजाति आम तौर पर प्राद्वीपीय भारत के पशिमी और दक्षिणी घाटों में पाई जाति थी यह पहली बार है जब छिपकली की यह प्रजाति प्राद्वीपीय भारत में पशिमी और दक्षिणी घाटों के मध्य में पाई गईं हैं.
साथ ही यह खोज हम्पी और उसके आस पास के क्षेत्र के जैव विविधता में सम्पन्न होने का प्रमाण देती है.
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