नेपाल की राजधानी काठमांडू और भारत में शिव की नगरी वाराणसी के बीच सीधी बस सेवा 5 मार्च 2015 को प्रारंभ किया गया. इसे भारत नेपाल मैत्री बस सेवा (Bharat-Nepal Maitri Bus Seva) नाम दिया गया. समारोह में दोनों देशों की सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2014 में 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के दौरान नेपाल की यात्रा की थी. उस दौरान भारत और नेपाल ने मोटर वाहन समझौता किया था. उसी समझौते के तहत यह बस सेवा शुरू की गई.
नेपाल के जमीनी बुनियादी ढांचा और परिवहन मंत्री विमलेंद्र निधि और भारतीय राजदूत रणजीत राय ने यहां दशरथ स्टेडियम के समीप बस को हरी झंडी दिखाई.
नेपाल पंजीकृत बस काठमांडू-भैरहवा-सुनौली-आजमगढ़-वाराणसी मार्ग पर चलेगी. यह बस 600 किलोमीटर की दूरी करीब 12 घंटे में तय करेगी.
दूसरी बस उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम वाराणसी से काठमांडू तक उसी मार्ग से चलाएगी. उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने बस का किराया 1300 रुपये किराया तय किया है.
इस बस सेवा के तहत दोनों ओर से दो आधुनिक 35 सीटर वातानुकूलित बसें रोजाना चलेंगी.
लाभ
काठमांडू और वाराणसी के बीच नियमित बस सेवा शुरू होने से लोगों के बीच संपर्क बढ़ने और भारत एवं नेपाल के के लोगों के बीच संबंध और मजबूत होंगे. काठमांडू और वाराणसी दोनों ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के कारण बस सेवा का पर्यटन उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे.
यह नेपाल और भारत के बीच दूसरी सीधी बस सेवा है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने नवंबर 2014 में 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन से इतर काठमांडू-दिल्ली सीधी बस सेवा को शुरू की थी.
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