राष्ट्रव्यापी स्तर पर कुष्ठरोग-विरोध दिवस 30 जनवरी 2015 को मनाया गया. इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय कुष्ठ रोग एसोसिएशन को अपनी शुभकामनाएं दी.
यह दिन संक्रामक कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के लिए महात्मा गांधी द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा और देखभाल की स्मृति में मनाया जाता है.
कुष्ठरोग-विरोध दिवस मनाने का उद्देश्य
• लोगों के बीच कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना.
• रोग से प्रभावित लोगों को नियमित उपचार के रूप में मदद प्रदान करना.
• रोगग्रस्त व्यक्ति को मानसिक रुप से मजबूत बनाना.
• त्वचा घाव और तंत्रिका क्षति से पीड़ित लोगों को मदद प्रदान करना.
• सभी प्रभावित व्यक्ति को आवश्यक उपचार और पुनर्वास प्रदान करना.
• रोग की दर में आए परिवर्तन को चिन्हित करना.
कुष्ठ रोग के बारे में
कुष्ठ रोग को हैन्सेनस रोग (एचडी) के रूप में भी जाना जाता है. कुष्ठ रोग बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम लेप्री और माइकोबैक्टीरियम लेप्रोमेटोसिस से होता है. प्रारंभ में संक्रमण के लक्षणों का पता नहीं लगता है.
इसके विकसित लक्षण नसों, श्वसन तंत्र, त्वचा, और आँखों में कणिकागुल्म, कमजोरी और खराब दृष्टि हैं. वर्ष 1940 से पूर्व डेप्सवन चौल्मूग्रा तेल का प्रयोग कुष्ठ रोग के लिए किया जाता था,परन्तु बाद में डेप्सवन दवा का प्रयोग इसके इलाज के लिए किया जाने लगा.
1970 के दशक में मल्टी ड्रग थेरेपी को इसके इलाज के रूप में पहचाना गया जो 1982 में विश्व स्वस्थ्य संगठन की अनुमति के उपरांत विश्व भर में प्रयोग की जाने लगी.
भारत में कुष्ठ रोग से सम्बंधित तथ्य
• भारत में दुनिया के कुल कुष्ठ रोग मामलों का 55 प्रतिशत है और 2010-2011 में कुष्ठ रोग के 127,000 नए मामले भारत में सूचित किये गए.
• कुष्ठ रोग सामान्यता समाज के सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बीच विशेष रूप से प्रचलित है. इसका मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं से उनकी दूरी और स्वच्छता का अभाव है.
• 2010-11 के बीच अनुसूचित जनजातियों में 14.31 प्रतिशत नए मामले दर्ज किये गए और 18.69 प्रतिशत मामले अनुसूचित जातियों में दर्ज किये गए हैं जबकि ये समुदाय 2001 में कुल जनसंख्या का सिर्फ 8.2 और 16.2 प्रतीशत थे.
• 1 अप्रैल 2013 तक 35 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में से 33 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों ने कुष्ठ रोग का उन्मूलन कर लिया था, इस तरह से रोग प्रसार की दर 10,000 आबादी में एक मामले से भी नीचे है.इसके अलावा मार्च 2013 में कुल 649 जिलों में से 528 जिलों (81.4%) ने उन्मूलन का लक्ष्य हासिल किया.
• वर्तमान में छत्तीसगढ़ के बाद दादरा और नगर हवेली में कुष्ठ रोग की प्रसार दर सर्वाधिक है.
कुष्ठ रोग उन्मूलन में भारत की सफलता
• वर्ष 1955 में राष्ट्रीय कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.
• वर्ष 1983 में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.
• वर्ष 1983 में विभिन्न चरणों में मल्टी ड्रग थेरेपी की शुरुआत
• राष्ट्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग के उन्मूलन लक्ष्य प्राप्त.
• प्रति 10,000 आबादी में एक से कम मामले पाए जाने के तथ्य को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया.
• मार्च 2011 तक प्रसार की दर 0.69 आबादी प्रति 10,000 पर थी.
• वर्ष 2012 में 16 राज्यों / संघ शासित क्षेत्रों के 209 उच्च स्थानिक जिलों के लिए विशेष कार्य योजना.
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