11 सितंबर 2015 को केंद्र सरकार ने इस्राइल से 10 हेरोन टीपी ड्रोन खरीदने को मंजूरी दे दी. 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सैन्य मिसाइल– सशस्त्र ड्रोन की यह खरीद भारत के सीमा पार सैन्य हमले का सामना करने की क्षमता को बढ़ाएगा.
ये ड्रोन टोही ड्रोन के बेड़े वाले भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा संचालित किए जाएंगे. आईएएफ के पास इस्राइल से लिया गया हर्पी यूएवी का भी बेड़ा है जो स्व–विध्वंसक प्रणाली है जो मुख्य रूप से दुश्मन के रडार की स्थितियों को बताता है.
सशस्त्र बलों ने इन्ही सैन्य ड्रोन की खरीददारी का प्रस्ताव 2012 में भी रखा था लेकिन यूपीए–2 शासनकाल में उस प्रस्ताव को राजनीतिक समर्थन नहीं मिल सका था. मोदी सरकार में 2015 की शुरुआत में इस प्रोजेक्ट पर फिर से विचार किया गया और इस पर तेजी से काम किया गया.
हेरॉन ड्रोन के बारे में
इस्राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित हेरॉन ड्रोन मध्यम उंचाई स्तरों पर लगातार 52 घंटों की उड़ान भर सकता है.
इस्राइल का हेरॉन ड्रोन टोही, युद्धक और समर्थन भूमिकाओं में सक्षम प्रीडेटर मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) के जैसा ही है.
हेरॉन ड्रोन्स 1000 किलोग्राम से अधिक वजन के पेलॉड ले जा सकते हैं.
ये हवा से जमीन पर वार करने वाले मिसाइलों से लैस हैं जो दुश्मन के इलाके में छुपे लक्ष्यों की पहचान कर सकते हैं, उन्हें ट्रैक कर सकते हैं और उन्हें भेद सकते हैं.
फिलहाल भारत असैन्य हेरॉन और खोजी यूएवी के बेड़े का संचालन निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए करता है.
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