केंद्र सरकार ने गूगल के लून प्रोजेक्ट को 2 नवंबर 2015 को मंजूरी दी. इसके तहत दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन गूगल देश में बैलून्स के जरिए इंटरनेट सुविधा मुहैया कराएगा. वर्तमान में सरकार ने गूगल के लून प्रोजेक्ट के पायलट फेज को मंजूरी दी. प्रोजेक्ट लून के तहत गूगल जमीन से 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर बैलून्स रखेगा. ये बैलून्स 40 से 80 किमी के एरिया में इंटरनेट फैसिलिटी देंगे.
लून प्रोजेक्ट से संबंधित मुख्य तथ्य:
• टेस्टिंग के लिए 2.6GHz बैंड में ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया जाएगा.
• ड्रोन प्रोजेक्ट के तहत गूगल 8 बड़े सोलर पावर्ड ड्रोन्स के जरिए इंटरनेट ट्रांसमिट करेगा.
• गूगल इसे टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर इस्तेमाल करेगा, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर नहीं.
• इससे सरकार उन इलाकों में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचा सकेगी, जहां लोकल टावर लगाना मुमकिन नहीं है. एक बैलून से बड़ा एरिया कवर हो सकेगा.
• लून प्रोजेक्ट के तहत किसी एरिया की पहचान कर वहां 20 किमी की ऊंचाई पर बैलून प्लांट किए जाएंगे.
• इंटरनेट प्रोवाइड करने के लिए यह वायरलेस कम्युनिकेशन्स टेक्नोलॉजी एलटीई या 4जी का इस्तेमाल करेगा.
• प्रोजेक्ट के लिए गूगल सोलर पैनल और विंड पावर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का इस्तेमाल करेगा.
• हर बैलून 40 से 80 किमी के एरिया में इंटरनेट कनेक्टिविटी देगा.
विदित हो कि गूगल ने लून प्रोजेक्ट पर वर्ष 2013 में काम शुरू किया था. हाल ही में गूगल ने इंडोनेशिया में प्रोजेक्ट लून को आगे बढ़ाया है. इससे पहले न्यूजीलैंड, कैलिफोर्निया (अमेरिका) और ब्राजील जैसे कुछ देशों में इस टेक्नोलॉजी का टेस्ट चल रहा है.
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