केंद्र सरकार के औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग द्वारा जम्मू-कश्मीर हेतु विशेष औद्योगिक विकास पैकेज की अवधि को अगले 5 वर्षों तक के लिए बढ़ा दिया गया. इसकी अवधि अब 14 जून 2017 कर दी गई है. यह निर्णय 14 जून 2013 को लिया गया. जम्मू-कश्मीर राज्य हेतु औद्योगिक प्रोत्साहन का पूर्ववर्ती पैकेज 14 जून 2002 को घोषित किया गया था, जो 14 जून 2012 तक 10 वर्ष की अवधि के लिए था. निरंतरता के उद्देश्य से तथा जम्मू-कश्मीर राज्य के जारी औद्योगिक विकास हेतु अनुकूल वातावरण बनाए रखने के लिए विशेष पैकेज के तहत प्रोत्साहनों को 15 जून 2012 से 14 जून 2017 तक और पांच वर्षों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया गया.
इस पैकेज के मुख्य प्रावधान
1. संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश हेतु 15 प्रतिशत की दर से पूंजी निवेश राजसहायता दी जानी है, जिसकी अधिकतम सीमा 30 लाख रूपए निर्धारित है तथा पिएमएसएमई संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश हेतु 30 प्रतिशत की दर से पूंजी निवेश राजसहायता के लिए पात्र होना है, जो सभी नई औद्योगिक इकाइयों और मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को उनके विस्तार हेतु विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए दी जानी है जिसकी अधिकतम सीमा क्रमश: 3.00 करोड़ रूपए और 1.50 करोड़ रूपए होनी है.
2. सभी नई इकाइयों के लिए वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने की तिथि से 5 वर्षों की अवधि हेतु औसत दैनिक कार्यशील पूंजी ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज राजसहायता.
3. सभी नई और मौजूदा इकाइयों को उनके विस्तार पर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की तिथि से 5 वर्षों की अवधि के लिए प्रीमियम की 100 प्रतिशत प्रति पूर्ति के साथ केंद्रीय व्यापक बीमा ब्याज राजसहायता योजना.
विशेष पैकेज से संबंधित अन्य तथ्य
• अधिसूचित औद्योगिक पार्क और संपदा में स्थापित उद्योगों द्वारा यह लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं.
• इस पैकेज के तहत राजसहायता के लिए पात्र होने के लिए राज्य में कहीं भी स्थापित किए जा सकने वाले मुख्य उद्योगों की सूची को भी बढ़ाया गया है, ताकि इसमें आटा मिल और चावल मिल, मसाले पीसना, दूध का पाश्चरीकरण/प्रसंस्करण तथा अन्य डेयरी उत्पाद, मशरूम की खेती, खाद बनाना, डेयरी फार्मिंग पैकेजिंग उद्योग, मिनरल वॉटर को बोतलबंद करना, स्टेशनरी का सामान तथा लकड़ी आधारित उद्योग को शामिल किया जा सके.
• यह योजना राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित की जानी है तथा नोडल एजेंसी जेकेडीएफसी के जरिए निधि संवितरित की जानी है.
• नए पैकेज की अवधि के लिए कुल परिव्यय 295 करोड़ रूपए निर्धारित किया गया है.
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