केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 22 अगस्त 2014 को नागपुर में पर्यावरण के अनुकूल इथेनॉल– चालित सार्वजनिक बसों को लांच किया. इन इथेनॉल–चालित बसों के परीक्षण के लिए भारत के पहले "द ग्रीन बस प्रोजेक्ट" के तहत लांच किया गया.
दावा किया जा रहा है कि इन बसों से 75 फीसदी से लेकर 90 फीसदी तक कम कार्बन डाइऑक्साइड निकलेगा जो कि इथेनॉल की शुद्धता पर निर्भर करेगा. केंद्र सरकार, महाराष्ट्र राज्य सरकार और नागपुर नगर निगम नए बसों से होने वाले उत्सर्जन की निगरानी करेंगे.
इथेनॉल–चालित बस परियोजना भारत के पेट्रोलियम उत्पाद आयातों को कम करने में मदद करेगा. भारत हर वर्ष 6 लाख करोड़ रुपयों से भी अधिक का पेट्रोल, डीजल और गैस का आयात करता है और वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल के जरिए यह आयात में दो लाख करोड़ रुपयों तक की कमी कर सकता है. इस दिशा में इथेनॉल– चालित बस परियोजना पहली पहल है.
इथेनॉल– चालित बस के बारे में
- इथेनॉल को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने वाली इस बस का निर्माण स्वीडेन की बस बनाने वाली कंपनी स्कैनिया कमर्शियल वेहिकिल इंडिया लिमिटेड ने किया.
- कंपनी के मुताबिक सभी अक्षय जैव ईंधन विकल्पों में इथेनॉल उपलब्धता, बुनियादी ढांचा और पहुंच के मामले में लागत प्रभावी है.
- स्कानिया ने भारत स्टेज 5–मानदंड के मुताबिक एक इंजन भी पेश किया जो कि उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
- हरित ईंधन प्रदूषण कम कर पर्यावरण का भी संरक्षण करेगा.
इथेनॉल के बारे में
- इथेनॉल को इथाइल एल्कोहॉल भी कहते हैं. यह शुद्ध एलकोहल है और वाष्पशील, ज्वलनशील, रंगहीन तरल होता है.
- इसे आम तौर पर एल्कोहल या स्पिरिट कहा जाता है.
- भारत में इथेनॉल बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जा सकता है और यह परंपरागत जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करेगा.
- इथेनॉल का उत्पादन चीनी मिलों के उप–उत्पाद शीरा (गुड़रस) से बनता है.
- यह थर्मामीटर, विलायक, एंटीसेप्टिक और ईंधन के तौर पर भी इस्तेमाल में लाया जाता है.
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