केंद्र सरकार ने सेबी अधिनियम 1992 में संशोधन करते हुए देश के प्रतिभूति नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India, SEBI, सेबी) के अधिकारों में वृद्धि की. केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 17 जुलाई 2013 को सेबी अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी.
सेबी बढ़ाये गये अधिकारों में शामिल है – निवेशकों के फोन कॉल के रिकॉर्ड्स की निगरानी कर पाना और संदेहास्पद कंपनियों की जांच करना शामिल है. अधिकारों में वृद्धि से सेबी को अधिकार होगा कि वह किसी भी संदेहास्पद कंपनी के परिसर एवं खातों की जांच कर सके.
सेबी ने इन अधिकारों के लिए काफी लंबे समय से इनसाइडर ट्रेडिंग के दावों तथा देश पूंजी बाजार में जोड़-तोड़ की जांच के लिए सरकार के पास बिना न्यायालय की अनुमति के कॉल रिकॉर्ड्स की निगारानी कि अधिकार मांगे थे.
केंद्रीय कैबिनेट ने एक अन्य महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए सेबी को ‘चिट फंड’ कंपिनयों को नियंत्रित करने के लिए प्रतिभूति से जुड़े कानूनों में भी बदलाव किये. चिट फंड गैर-कानूनी न होते हुए भी शिथिल एवं अपर्याप्त नियमों के चलते देश भर में निवेश की पोंजी तथा पिरामिड स्कीमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी. जिसके चलते इन योजनाओं में निवेश करने वाले कई निवेशकों को धोखाधड़ी की सामना करना पड़ा था.
चिट फंड (Chit Fund)
घरेलू स्तर का निवेश संघ जिनके माध्यम से आम तथा छोटे-छोट निवेशक एक समूह बनाकर निवेश करते हैं जिनमें से कई के तो बैंक खाते तक नहीं होते. हमारे देश में अभी तक इस तरह की स्कीमों के लिए चिट फंड अधिनियम 1982 रहा है. चिट फंड योजनाओं का व्यवस्थापन सगठित वित्तीय संस्थाओं या असंगठित समूहों या किसी व्यक्ति, मित्र आदि द्वारा चलाया जा सकता है. केरल राज्य में चिट फंड स्कीमों को ‘चिट्टी’ नाम से संबोधित किया जाता है. केरल सरकार की एक कंपनी ‘केरल स्टेट फाइनेंसियल एंटरप्राइजेज’ का मुख्य कारोबार ‘चिट्टी’ है.
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