केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने ओडीशा के भुवनेश्वरी खुली खदान परियोजना को कुछ शर्तों के साथ विस्तार की इजाजत दे दी. यह परियोजना कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी महानदी कोलफिल्ड लिमिटेड की है. महानदी कोलफिल्ड को अपनी क्षमता 20 एमटीपीए (प्रति वर्ष मिलियन टन) का विस्तार कर 25 एमटीपीए करने (नियमों और शर्तों के अनुपालन के अधीन) की इजाजत मिली है.
द्वितीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने 3–4 अक्टूबर 2013 को बैठक कर इस प्रस्ताव पर आरंभिक विचार किया था फिर नौवें विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने 2014 की शुरुआत मे बैठक की औऱ इसपर पुनर्विचार किया.
नियम और शर्तें
• उपरोक्त खदान में पर्यावरण मंजूरी में निर्धारित सीमा से अधिक उत्पादन कभी भी नहीं होना चाहिए.
• उत्पादन दूसरों के बीच में एक ही खनन पट्टा क्षेत्र के भीतर होना चाहिए.
• वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के तहत मंजूरी मिलने तक वन भूमि पर किसी भी प्रकार का खनन कार्य नहीं किया जाएगा.
केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार -
• खनन पट्टा क्षेत्र के तहत आने वाले पूरे वन को दूसरे जगह ले जाने के लिए पहले वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के तहत दिशानिर्देश (1 फरवरी, 2013), जारी करने की अवधि से दो वर्ष के भीतर मंजूरी लेनी होगी. ऐसा नहीं करे पर खनन पट्टा गैर वन क्षेत्र साथ वन क्षेत्र तक कम हो जाएगा.
• खनन पट्टा क्षेत्र कम किए जाने के मामले में आपको कम किए गए क्षेत्र के लिए फिर से खनन योजना बनाकर उसे सक्षम पदाधिकारी से अनुमोदित कराना होगा और नए खनन पट्टा क्षेत्र में जाना पड़ेगा.
परियोजनाओं के लिए पर्यावरण की मंजूरी प्राप्त करने हेतु आवश्यकताएं और प्रक्रियाएं
1. क. कोई भी व्यक्ति जो अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध नई परियोजना या मौजूदा उद्योग या परियोजना के विस्तार या आधुनिकीकरण कराना चाहता है उसे सचिव, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, नई दिल्ली के पास आवेदन भेजना होगा. अनुसूची I में ऊर्जा क्षेत्र, नदी घाटी, परिवहन, उरवर्क, औषधि आदि से संबंधित परियोजनाएं शामिल हैं. आवेदन के साथ परियोजना की रिपोर्ट और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा समय समय़ पर जारी किए जाने वाले दिशानिर्देशों के तहत बनाई गई पर्यावरण प्रबंधन योजना/ पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट भी होनी चाहिए.
ख. अपर्याप्त डाटा और योजना की वजह से खारिज किए गए मामलों की फिर से समीक्षा की जा सकती है.
2. साइट विशिष्ट परियोजनाओं के मामले में
• खनन,
• पिट– हेड थर्मल पावर स्टेशन,
• पनबिजली, प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ और/ या बाढ़ नियंत्रण समेत उनके संयोजन.
• बंदरगाह और पत्तन.
• 500 हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्र में प्रमुख खनिजों का पूर्वेक्षण और अन्वेषण.
परियोजना के अधिकारियों को परियोजना का स्थान पर्यावऱण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार को बताना होगा. प्रस्तावित स्थल की उपयुक्तता के संबंध में अधिकतम 30 दिनों में निर्णय दिया जाएगा. प्रस्तावित स्थल को स्वीकृत क्षमता के साथ अनुमोदित किया जाएगा और यह निर्माण,संचालन या खनन शुरु करने के लिए पांच वर्ष की अवधि के लिए मान्य होगा.
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• आवेदन में जमा की गई रिपोर्ट का मूल्यांकन इंपैक्ट असेसमेंट एजेंसी करेगी और अगर जरूरत पड़ी तो इसे अनुसूची III के विशेषज्ञों की समिति भी इसका मूल्यांकन कर सकती है.
• इंपैक्ट असेसमेंट एजेंसी सिफारिशों की एक सूची तैयार करेगा. रिपोर्ट का सारांश, सिफारिशें और शर्तें संबंधित पक्षों और पर्यावरण समूहों के अनुरोध पर सार्वजनिक हित में बनाया जाएगा. अगर इंपैक्ट असेसमेंट एजेंसी ने फैसला किया तो प्रस्ताव देने के तीस दिनों के भीतर जनता से परियोजना के उपर टिप्पणियां मांगी जा सकती हैं, इसके लिए जन सुनवाई कम से कम दो अखबारों में तीस दिनों का नोटिस देने के बाद हो सकती है. आकलन का काम अपेक्षित दस्तावेजों और परियोजना के अधिकारियों द्वारा आंकड़े मिलने के 90 दिनों के भीतर कर लिया जाता है और जहां जरूरी हो वहां, जनसुनवाई और फैसला उसके 30 दिनों के बाद सुनाया जाता है. निर्माण और संचालन संबंधि अनुमति पांच वर्ष की अवधि के लिए होती है. जब तक कि परियोजना को पर्यावरण या स्थल की मंजूरी नहीं मिल जाती, उसपर प्राथमिक या किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य करने की इजाजत नहीं होगी.
4. इंपैक्ट असेसमेंट एजेंसी को पर्यावरण मंजूरी दिए जाने के बाद शर्तों और नियमों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए संबंधित परियोजना अधिकारियों को इन एजेंसी को अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट देनी होगी. सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए, आईएए, अनुपालन रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराएगा.
5. अगर इंपैक्ट असेसमेंट एजेंसी से निर्धारित समय अवधि में कोई टिप्पणी नहीं मिलती है तो माना जाएगा कि परियोजना अधिकारियों ने जैसा प्रस्ताव दिया था उसी रूप में परियोजना को मंजूरी मिल गई है.
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