केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी नौकरियों और केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का लाभ उठाने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए क्रीमीलेयर के मापदण्ड को साढ़े चार लाख रूपए से बढ़ाकर छह लाख रुपए कर दिया है. यह निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 16 मई 2013 को लिया गया.
आय सीमा में यह वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि के अनुरूप है और इससे अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के फायदों का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकेगा. इससे अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिक से अधिक लोग सरकारी सेवाओं और केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में मिल रही आरक्षण सुविधा का फायदा उठा सकेंगे.
ओबीसी क्रीमी लेयर सीमा में बढ़ोत्तरी (कालानुक्रम)
| तिथि | 08.09.1993 | 09.03.2004 | 14.10.2008 | 16.05.2013* |
| सीमा (रु.) | 1 लाख | 2.5 लाख | 4.5 लाख | 6 लाख |
*(केंद्रीय कैबिनेट द्वारा अनुमति)
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति मकनी नारायन राव (एमएन राव) की अध्यक्षता के दौरान 10 जून 2011 को यह सुझाव दिया था कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए क्रीमी लेयर की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये प्रति वर्ष (शहरी क्षेत्रों के लिए) एवं 9 लाख रुपये प्रति वर्ष (ग्रामीण क्षेत्रों के लिए) कर दिया जाना चाहिए. पूर्व न्यायाधीश एमएन राव ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद का कार्यभार 7 जून 2008 को ग्रहण किया था.
सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय ने इस सुझाव को केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजते समय क्रीमी लेयर की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये प्रति वर्ष करने की बजाए 6 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दिया. केन्द्रीय मंत्रिमंडल को इस सुझाव पर 14 जून 2012 को पहली बार विचार करना था.
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