5 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तमिलनाडु में स्वदेशी न्यूट्रिनो वेधशाला स्थापित करने की मंजूरी दी. आईएनओ प्रयोगशाला न्यूट्रिनो– न्यून दोहरा बीटा क्षय (न्यूट्रिनो– लेस डबल बीटा डीके) और डार्क मैटर की खोज जैसे प्रयोग करेगा.
इस परियोजना का सेटअप तमिलनाडु में थेनी जिले के बोडी पश्चिम पहाड़ियों में पोटट्पुरम गांव के नजदीक लगाया जाएगा. परियोजना की अनुमानित लागत 1500 करोड़ रुपये है.
भारत में गैर– त्वरित आधार वाले उच्च ऊर्जा एवं परमाणु अनुसंधान के लिए आईएनओ करीब 1200 मीटर के चट्टान कवर वाला एक भूमिगत प्रयोगशाला होगा. इस परियोजना में इंटर– इंस्टीट्यूशनल सेंटर फॉर हाई एनर्जी फिजिक्स (IICHEP) और आयरन कैलोरीमीटर डिक्टेटर (ICAL) भी शामिल होगा.
इस परियोजना को परमाणु ऊर्जा विभाग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग दोनों का संयुक्त समर्थन मिलेगा. चूंकि परियोजना तमिलनाडु में है इसलिए इसके लिए संरचनात्मक सहयोग तमिलनाडु राज्य सरकार मुहैया कराएगी.
IICHEP की स्थापना प्रस्तावित न्यूट्रिनो वेधशाला से करीब 110 किलोमीटर दूर मदुरै में की जाएगी. 50000 टन के चुंबकीय ICAL का निर्माण न्यूट्रिनो का अध्ययन खासकर न्यूट्रिनों के विभिन्न प्रकारों के बीच बड़े पैमाने पर मौजूद पदानुक्रमों का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा.
आईएनओ का लक्ष्य
- न्यूट्रिनों का अध्ययन जो कि लेप्टॉन परिवार का मौलिक कण होता है. न्यूट्रिनों तीन प्रकार का होता है, एक जो इलेक्ट्रॉन्स के साथ जुड़ा होता है और दूसरे अपने वजनी muon और Tau से जुड़े होते हैं.
- डिक्टेटर प्रौद्योगिकी और उसके विभिन्न अनुप्रयोगों का विकास.
आईएनओ परियोजना के निदेशक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई के प्रोफेसर नाबा मोंडल हैं. इससे पहले वे कोलार स्वर्ण क्षेत्र के भूमिगत प्रयोगशाला में अग्रणी प्रयोगों के साथ जुड़े थे.
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