केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 मई, 2014 को पोलावरम परियोजना प्राधिकरण (पीपीए) की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी. यह पोलावरम सिंचाई परियोजना के क्रियान्वयन के लिए स्थापित की जाएगी.
केंद्र द्वारा वित्त पोषित पीपीए और उसके शासी निकाय का गठन एपी पुनर्गठन अधिनियम, 2014 की धारा 90 के अनुसार किया गया हैं. इस परियोजना की मूल लागत 10151 करोड़ रुपए आँकी गई थी जो 16010 करोड़ रुपए तक पहुंच गई.
पोलावरम परियोजना प्राधिकरण (पीपीए) एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में एक स्वायत्त संस्था होगी. मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की नियुक्ति केन्द्र द्वारा की जायेगी. सीईओ तीन वर्षों की एक निश्चित अवधि के साथ भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव की रैंक का होगा.
बहुउद्देशीय पोलावरम परियोजना से 2.91 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा प्राप्त होने की आशा है.यह 960 मेगावाट बिजली पैदा करेगा साथ ही विशाखापट्टनम शहर और भी विजाग इस्पात संयंत्र के लिए 23.4 टीएमसी पीने के पानी की आपूर्ति करेगा. यह कृष्णा नदी बेसिन को वार्षिक 80 tmcft अंतर-बेसिन जल हस्तांतरित करेगा.
पोलावरम परियोजना की सभी परिसंपत्तियों और देनदारियों को प्राधिकरण को स्थानांतरित कर दिया जाएगा और इसके लिये एक अलग पीपीए निधि की स्थापना की जाएगी जिसमे केंद्र की ओर से जारी की गई राशि जमा की जाएगी.
यह प्राधिकरण परियोजना के बारे में सभी आशंकाओं को स्पष्ट करेगा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों, अन्य नदी तटीय राज्यों ओडिशा, छत्तीसगढ़ में विश्वास उत्पन्न करेगा साथ ही पारदर्शी और साम्यपूर्ण ढंग से परियोजना का क्रियान्वयन करेगा.
केंद्र इसके लिये निधि ज़ारी करेगा तथा इस परियोजना को निष्पादित करेगा तथा इसके लिये आवश्यक मंजूरी जिसमें पर्यावरण, वन और पुनर्वास सम्मिलित हैं, प्रदान करेगा.
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