केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21 मई 2015 को अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) द्वारा किए गए निवेश पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में बदलाव के लिए अपनी मंजूरी दे दी.
इस मंजूरी के बाद भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) और भारत के विदेशी नागरिक (ओसीआई) भी संशोधित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के अनुसार भारत में निवेश कर सकेंगे.
एफडीआई नीति में निम्न संशोधन हुए हैं :
भारतीय अप्रवासी (एनआरआई) की परिभाषा ओसीआई कार्ड धारकों के साथ पीआईओ कार्ड धारकों को शामिल करके एफडीआई नीति का विस्तार किया गया है.
आर्थिक, वित्तीय और शैक्षिक क्षेत्रों के संबंध में अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के साथ भारतीय मूल के व्यक्ति और भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) को समता प्रदान करने के लिए सरकार की घोषित नीति के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को संशोधित किया गया है.
फेमा विनियम (विदेशी मुद्रा सुरक्षा से जुड़े अधिनियम) की अनुसूची-4 के तहत अनिवासी भारतीयों द्वारा किए गए निवेश, 2000 निवासियों द्वारा किए गए निवेश के बराबर घरेलू निवेश माना जाएगा.
इस निर्णय के अनुसार यह निवेश विदेशी निवेश की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाएगा.
इसके अतिरिक्त बीमा और रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत करने और रेलवे के बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत भी दी गई है.
इन फैसलों से आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण विदेशी निवेश वृद्धि की उम्मीद है.
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