केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 17 जून 2015 को सौर ऊर्जा के लक्ष्य को जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय सोलर मिशन (जेएनएनएसएम) के तहत पांच गुना बढ़ाकर 100000 मेगावाट (100 GW) कर दिया है. यह लक्ष्य वर्ष 2022 तक हासिल किया जाना है.
इससे पहले वर्ष 2022 तक 20,000 मेगावाट सोलर उर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इससे भारत विश्व में हरित उर्जा प्रदान करने वाला एक अग्रणी राष्ट्र बन जायेगा.
इस लक्ष्य में 40 GW रूफटॉप तथा 60 GW ग्रिड आधारित सोलर उर्जा प्रोजेक्ट शामिल हैं. 100 GW उर्जा के लिए 6 लाख करोड़ रूपए का निवेश किया जाएगा.
पहले चरण में केंद्र सरकार देश में सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी के रूप में 15050 करोड़ रूपए का निवेश करेगी. यह पूंजीगत सब्सिडी विभिन्न नगरों तथा शहरों में प्रदान की जाएगी. वायाबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) प्रोजेक्ट्स को सौर उर्जा कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एसईसीआई) द्वारा विकसित किया जायेगा तथा इसका छोटी सोलर इकाइयों में विकेन्द्रीकरण किया जायेगा.
इसके अतिरिक्त 90000 करोड़ रूपए के निवेश के साथ सौर उर्जा परियोजनाओं को बंडलिंग मेकेनिज्म के तहत थर्मल पावर के साथ विकसित किया जायेगा.
परियोजना का महत्व
यह भारत के लिए दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा तथा इससे भारत की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा भंडार और पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव में भी कमी आयेगी.
संशोधित लक्ष्य द्वारा निर्माण हेतु प्रौद्योगिकी केन्द्र स्थापित किये जायेंगे जिससे विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा.
विनिर्माण बढ़ने से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष माध्यमों से प्रशिक्षित तथा गैर-प्रशिक्षित क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि होगी.
यह सम्भावना जताई जा रही है कि इससे 170 मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आयेगी.
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