केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने 3 अगस्त 2014 को सशस्त्र बलों को रोल्स रॉयस के साथ आवश्यक वस्तुओं से संबंधित व्यापार करने की अनुमति दी.
केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय का निर्णय तब आया जब अटॉर्नी जर्नल मुकुल रोहतगी ने इस बात को सुनिश्चित किया कि भारतीय वायु सेना और भारतीय नेवी रोल्स रॉयस से आवश्यकतानुसार रखरखाव और संचालन हेतु मदद ले सकती है, लेकिन इस बात को सुनिश्चित करते हुए कि इससे दोनों देशों की रक्षा संबंधों पर कोई असर नहीं पड़े.
इसके अलावा, इस तरह के सी -130 जे सुपर हरक्यूलिस विमान, सी किंग मल्टी रोल हेलीकाप्टर, हॉक जेट ट्रेनर और जगुआर लड़ाकू विमान रोल्स रॉयस के इंजन से उन्नत हैं.
इसलिए, वे अपने अभियान को जारी रखने हेतु फर्म से आवश्यक उपकरणों को खरीदेंगे.
पृष्ठभूमि
मार्च 2014 में, केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने ब्रिटिश इंजन निर्माता रोल्स रॉयस के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) साथ किये गये सभी अनुबंधों को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण रोक दिया गया था.
इस अनुबंध में, रोल्स - रॉयस को वर्ष 2007-2011 के दौरान एचएएल को ट्रेनर विमान के लिए विमान के इंजन की आपूर्ति करनी है. यह अनुबंध 10000 करोड़ रुपए का है.
सीबीआई ने अनुबंध के आरोपो में रोल्स रॉयस द्वारा बाहरी व्यावसायिक सलाहकार और बिचौलियों का हस्तक्षेप पाया.

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