केंद्रीय वस्त्र मंत्री डॉ के सम्बाशिव राव ने भोपाल में राष्ट्रीय वस्त्र निगम (एनटीसी) की नई वस्त्र मिल का उद्घाटन 22 जुलाई 2013 को किया. इस मिल को बुरहानपुर में बुराहनपुर ताप्ती मिल के साथ ही चालू किया गया और इसे आधुनिक बनाया गया है.
इसके अलावा नई भोपाल वस्त्र मिल के उत्पादन और कामगारों की क्षमता का उपयोग करने हेतु राष्ट्रीय वस्त्र निगम ने मिल के आधुनिकीकरण के दूसरे चरण को भी मंजूरी दी है. दूसरे चरण हेतु मुख्यालय द्वारा 81 करोड़ रूपये मंजूर किए गए, जिससे आधुनिक मशीनें लगाई जानी है. इससे उत्पादन भी मौजूदा 5000 किग्रा से बढ़कर 14000 किग्रा प्रतिदिन हो जाना है. मौजूदा 380 कामगारों की जगह मिल में 650 कामगारों को रोजाना काम मिल सकेगा. इस आधुनिकीकरण के बाद प्रत्येक वर्ष लगभग 72 करोड़ रूपए की बिक्री हो सकेगी. इस मिल को आईएसओ प्रमाण पत्र मिल चुका है.
राष्ट्रीयकरण कानून 1974 के तहत राष्ट्रीय वस्त्र निगम (मध्य प्रदेश) ने घाटे मे चल रही 7 मिलों को नियंत्रण में ले लिया था. पुरानी मशीनरी और महंगे श्रम की वजह से ये मिलें घाटे में चल रही थी. उन्हें वर्ष 1992 में औद्योगिक और वित्तीय पुनर्संरचना बोर्ड (बीआईएफआर) के तहत पंजीकृत किया गया. इन 7 मिलों में से 5 को बंद कर दिया गया और बाकी 2 मिलों को भोपाल की न्यू भोपाल वस्त्र मिल और बुराहनपुर में बुराहनपुर ताप्ती मिल को आधुनिक बनाने का निर्णय लिया गया. योजना के तहत 5 बंद की गई मिलों के सभी कर्मचारियों और बाकी 2 कंपनियों के भी जरूरत से ज्यादा कर्मचारियों को एमवीआरएस दिया गया.
राष्ट्रीय वस्त्र निगम
यह भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है. इसकी स्थापना वर्ष 1968 में की गई थी. औद्योगिक और वित्तीय पुनर्संरचना बोर्ड की एक योजना के अनुसार राष्ट्रीय वस्त्र निगम ने वर्ष 2008 में 16848 धुरियां बदलकर 26.42 करोड़ रूपए में 25200 नई धुरियां लगवाई. इससे उत्पादन 1800 किग्रा से बढ़कर 5000 किग्रा प्रतिदिन हो गया. इसके कारण जरूरत से ज्यादा कामगारों को संशोधित स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (एमवीआरएस) देने के बावजूद 380 कामगार रोज काम पा सकेंगे. इससे भविष्य में 600 स्थानीय लोगों को काम मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
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