केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 02 दिसंबर 2014 को कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अध्यादेश 2014 को बदलने के लिए कोयला ब्लॉक नीलामी बिल को मंजूरी दे दी. बिल पर फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रीमंडलीय बैठक में किया गया. इस बिल के संसद के शीतकालीन सत्र 2014 में संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है.
अध्यादेश राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 123(1) के अनुसार घोषित किया गया था ताकि केंद्र सरकार को रद्द किए गए सभी 214 कोयला ब्लॉक्स और संयंत्र की जमीन के अधिग्रहण और उनकी ई–नीलामी की अनुमति मिल सके.
साथ ही कोयला खान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1973 में भी संशोधन करना चाहता है ताकि भारत की सभी कंपनियों जिसमें विदेशी संस्थाओं की सहायक कंपनियां भी शामिल हैं, के लिए कोयला खनन क्षेत्र प्रभावी रूप से खोला जा सके.
कोयला खान (विशेष प्रावधान) अध्यादेश, 2014 की मुख्य बातें
• यह प्रक्रिया का विवरण देते हुए कहता है कि केंद्र सरकार निजी–स्वामित्व और सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली, स्टील एवं सीमेंट कंपनियों को 1993 से 2010 के बीच आवंटित खानों का अधिग्रहण करेगी.
• यह कंपनियों को जिनके पास कोयला ब्लॉक आवंटन कैप्टिव प्रयोग के लिए है, सुप्रीम कोर्ट ने खानों के लिए बोली लगाने रद्द कर दिया. हालांकि, इसने आवंटन से संबंधित अपराधों की दोषी संस्थानों को मना किया है.
• इसने खानों की सार्वजनिक नीलामी के लिए प्रावधान दिया है कि प्रतिस्पर्धी बोली के जरिए जिसमें बोली लगाने वाले को 5 करोड़ रुपयों से अधिक की फीस का भुगतान नहीं करना होगा, की जरूरत होगी.
• इसमें पूर्व आवंटी के नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दिया गया है जो कि ऐसी अवधि के भीतर अतिरिक्त लेवी का भुगतान करने के विषय के अधीन निर्धारित किया जा सकता है.
• कोई भी पूर्व आवंटी जो कोयला ब्लॉक आवंटन से संबंधित किसी अपराध के लिए दोषी पाया जाता है और जिसे तीन वर्षों से अधिक के कारावास की सजा मिली हुई है, वे नीलामी में हिस्सा लेने के पात्र नहीं होंगे.
• यह खानों और उसकी संपत्ति को तीन अनुसूचियों में वर्गीकृत करता है.
• पहली अनुसूची में 24 सितंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी खानों को आवंटित करना, इन खानों के पूर्व आवंटियों द्वारा अधिकृत कोयला असर भूमि और खान बुनियादी ढांचा शामिल है.
• दूसरी अनुसूची में पहली में उल्लिखित 42 खान हैं लेकिन जो कोयला का उत्पादन कर रहे हैं और जिनके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने छह माह की रियायती अवधि प्रदान की है.
• तीसरी अनुसूची में अनुसूची 1 की 32 कोयला खान जो अनुसूची 3 में सूचीबद्ध हैं या कोई भी दूसरी अनुसूची 1 की कोयला खान जिसकी पहचान केंद्र सरकार ने विशेष उद्देश्य के लिए की है.
• यह एक नामित प्राधिकारी की अनुमति प्रदान करता है ताकि इन ब्लॉकों के अधिकारों, हितों और पदवी के हस्तांतरण को सुनिश्चित किया जा सके और नीलामी की रकम अर्जित किया जा सके. केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी जो कि संयुक्त सचिव की रैंक से कम का नहीं होगा, वह नामित प्राधिकारी हो सकता है.
• यह केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सभी पूर्वेक्षण लाइसेंस या खनन पट्टों के पुनर्आबंटन की विस्तृत प्रक्रिया का निर्धारण करता है.
पृष्ठभूमि
24 सितंबर 2014 को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से आवंटित 218 कोयला ब्लॉक खानों में से 214 का आवंटन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि ये आवंटन गैरकानूनी और मनमाने ढंग से दिए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार एक अध्यादेश के जरिए कम–से–कम 74 चालू या चालू होने को तैयार ब्लॉक की नीलामी की प्रक्रिया शुरु की और मार्च 2014 तक उनकी नीलामी करने की समयसीमा निर्धारित की, न्यायालय द्वारा खानों के संचालन करने वाली कंपनियों के लिए निर्धारित समयसीमा संचालन को बंद करने के लिए तय की गई थी.
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