केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 5 सितंबर 2014 को जम्मू और कश्मीर सरकार को कश्मीरी विस्थापितों (खास तौर पर पंडितों) के पुनर्वास के लिए उपयुक्त भूमि खोजने का निर्देश दिया. राजनाथ सिंह ने जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पुनर्वास योजना के कार्यान्वयन के संबंध में एक पत्र लिखा.
अपने पत्र में गृह मंत्री ने मुख्यमंत्त्री को सुझाव दिया कि वे विस्थापितों की मूल जगह के आसपास ही उनके पुनर्वास हेतु भूमि खोजने की कोशिश करें. इसके साथ ही उन्होंने ऐसे इलाकों में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का भी सुझाव दिया.
कश्मीरी विस्थापित पंडितों के पुनर्वास के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखने और उनसे पूछने का यह कदम केंद्रीय मंत्री के इन विस्थापितों के वापस लौटने और उनके पुनर्वास के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है.
एनडीए की सरकार ने वादा किया था कि वे करीब 62000 विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवारों को उनकी पूरी गरिमा के साथ घाटी में उनके घरों में वापसी में मदद करेंगें. इस उद्देश्य के लिए वित्त मंत्री ने वर्ष 2014–15 के केंद्रीय बजट में, घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे.
वर्ष 1990 में उग्रवाद के बाद कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गए थे, करीब 62000 पंजीकृत कश्मीरी पंडित परवार जो कि घाटी से पलायन कर गए, भारत के विभिन्न हिस्सों– मुख्य रूप से जम्मू और दिल्ली, में रह रहे हैं.
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