रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला कांड में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और बिहार के ही पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता जगन्नाथ मिश्र सहित 34 अभियुक्तों को यहां नव स्थापित ई-अदालत से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बिरसा मुंडा जेल में ही 3 अक्टूबर 2013 को सजा सुनायी.
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से 37.7 करोड़ रुपये निकालने के मामले में पांच वर्ष के कठोर कारावास और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. साथ ही जगन्नाथ मिश्र को अदालत ने चार वर्ष कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. अदालत ने अन्य सभी अभियुक्तों को भी चार से पांच वर्ष तक के कठोर कारावास और दो लाख रुपये से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा सुनायी.
अदालत ने लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 420, 409, 467, 468, 471, 477ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) एवं 13 (1)डी के तहत दोषी ठहराया. लालू यादव पर अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) के तहत 15 लाख रुपये जुर्माना और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत दस लाख जुर्माना लगाया.
सुनवाई के दौरान अदालत में अनुपस्थित तीन अन्य अभियुक्तों को भी सजा सुनाई गई और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया.
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने मामले में दोषी पाये गये जहानाबाद से नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड पार्टी (जदयू) से सांसद जगदीश शर्मा को चार साल की कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. पूर्व नौकरशाह लोकलेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष आर के राणा को पांच साल की कैद और तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी.
30 सितंबर 2013 को इस मामले में लालू यादव समेत 34 अभियुक्त दोषी करार दिया गया था. 34 बंदियों में से 33 बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं जबकि बीमार जगन्नाथ मिश्र रिम्स में भर्ती हैं.
लालू प्रसाद यादव की पत्नी और राष्ट्रीय जनता दल की नेता राबड़ी देवी ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने का निर्णय लिया.
विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने 10 जुलाई 2013 को निर्देश दिया था कि दो वर्ष से अधिक की कैद की सजा पाने वाले विधायकों और सांसदों की सदस्यता सजा सुनाए जाने के दिन से ही समाप्त हो जाएगी और छह वर्ष के लिए उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित माना जाएगा.
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से सम्बदित तथ्य
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव वर्ष 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. वर्ष 1997 में चारा घोटाला कांड के सामने आने के बाद लालू प्रसाद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनकी पत्नी राबड़ी देवी राज्य की मुख्यमंत्री बनी.

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