जम्मू एवं कश्मीर विधान परिषद ने 28 अगस्त 2014 को केंद्र सरकार को भारत–पाक वार्ता फिर से शुरु करने का प्रस्ताव पारित किया. ध्वनि मत से पारित इस प्रस्ताव में केंद्र से शांति और स्थिरता के लिए सीमा पार से गोलीबारी को रोकने (खासकर जम्मू और कश्मीर में) को सुनिश्चित करने की बात कही गई. प्रस्ताव में केंद्र सरकार से नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी में पीड़ितों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के अलावा नियंत्रण रेखा उल्लंघन को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की भी मांग की गई.
भारत–पाक वार्ता फिर से शुरु करने संबंधी प्रस्ताव, जम्मू एवं कश्मीर विधान परिषद के अध्यक्ष अमृत मल्होत्रा ने पेश किया और इसे नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी के सदस्यों ने समर्थन दिया. यह प्रस्ताव विवादास्पद हो सकता है, क्योंकि जम्मू और कश्मीर के संविधान में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि विदेश मामले राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं. इससे पहले 28 अगस्त 2014 को भारत औऱ पाकिस्तान ने अखनूर सेक्टर के पारग्वाल सब–सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ निकोवाल सीमा आउट पोस्ट पर डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशंस (डीजीएमओ) स्तर की फ्लैग मीटिंग के जरिए इस प्रक्रिया को फिर से शुरु किया था.
टिप्पणी
पाकिस्तान की तरफ से नियंत्रण रेखा पर लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जा रहा. सिर्फ अगस्त 2014 में ही पाकिस्तान ने 24 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया. इसमें बीएसएफ के 4 जवान घायल हुए और दो गांव वालों के साथ 17 अन्य लोगों की जान गई. संघर्ष विराम का उल्लंघन तब और बढ़ गया, जब नई दिल्ली की कड़ी आपत्ति के बावजूद भारत के लिए इस्लामाबाद के दूत अब्दुल बासित ने हुर्रियत नेताओं से मुलाकात की औऱ भारत सरकार ने इसके बाद अगस्त 2014 में विदेश सचिव स्तर की वार्ता को रद्द कर दिया. वार्ता को रद्द करने की विपक्षी पार्टी ने आलोचना कि क्योंकि उन्हें लगा कि सरकार के इस कदम से दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने के रास्ते अवरुद्ध हो जाएंगें.
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