भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो Indian Space Research Organization) ने जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) युक्त भू संवर्धित नेविगेशन प्रणाली (GPS Aided Geo Augmented Navigation,GAGAN) के पूर्ण संचालन की घोषणा 25 मई 2015 को की.
एपीवी1 (APV1) प्रमाणित संकेतों के प्रसारण शुरू होने के साथ ही प्रणाली का अंतिम परिचालन चरण 19 मई 2015 को शुरू किया गया.
इस परिचालन के साथ ही भारत, अमेरिका, यूरोप और जापान के बाद अंतर-प्रचलित उपग्रह आधारित विस्तार प्रणाली (एसबीएएस) वाला चौथा राष्ट्र बन गया. साथ ही गगन (GAGAN, GPS Aided Geo Augmented Navigation) भूमध्य क्षेत्र में एसबीएएस प्राणाली की सेवा देने वाला विश्व की पहली प्रणाली भी बन गई.
गगन पेलोड जीसैट -8 और जीसैट -10 उपग्रहों के माध्यम से पहले से ही काम कर रही है. जीसैट -15 उपग्रह को अक्टूबर 2015 में लांच करने का निर्णय लिया गया है.
जीपीएस युक्त भू संवर्धित नेविगेशन प्रणाली के मुख्य तथ्य
• इस उपग्रह आधारित विस्तार प्रणाली (SBAS) का विकास भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.
• इसका प्राथमिक उद्देश्य, भारतीय वायु अंतरिक्ष में सुरक्षित जीवन के लिए नागरिक उड्डयन अनुप्रयोगों हेतु उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली की स्थापना और तैनाती करना है.
• यह सिस्टम यूएस-डब्ल्यूएएएस (US-WAAS), यूरोपियन ईजीएनओएस (European EGNOS), और जापान एमएसएएस (Japanese MSAS) जैसी अन्य अंतरराष्ट्रीय एसबीएएस सिस्टम के साथ अंतर संचालित है.
• इसको विकसित करने में 774 करोड़ रुपए खर्च किए गए.
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