टाइम्स ऑफ इंडिया मुंबई की वरिष्ठ संवाददाता सुखदा टाटके को वर्ष 2010 के प्रभा दत्त फेलोशिप के लिए चुना गया. उनके चुनाव की घोषणा संस्कृति प्रतिष्ठान द्वारा 12 जुलाई 2011 को की गई. फेलोशिप दस महीने की अवधि के लिए होती है. फेलोशिप के रूप में एक लाख रुपए दिया जाता है. यह हिंदी, अंग्रजी या क्षेत्रीय भाषा के ऐसे पत्रकारों को दिया जाता है जिनकी उम्र 25 से 40 वर्ष के बीच हो. यह निर्णय सुखदा टाटके को विदर्भ में किसानों की आत्महत्या के बाद उनके अनाथ बच्चों की हालत पर बेहतरीन रिपोर्टिंग के चलते लिया गया. पत्रकारिता के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए यह फेलोशिप संस्कृति प्रतिष्ठान की ओर से दिया जाता है.
वह जून 2007 से मुंबई सिटी ब्यूरो के साथ काम कर रही हैं. इस दौरान उन्होंने नगर निगम, शहरी विकास, अमीरी-गरीबी के बीच बढ़ती खाई, लोगों के जीवन स्तर और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे जनहित से जुड़े कई मुद्दों को बखूबी सामने लाया है. साथ ही, उन्होंने कला और संस्कृति जैसे विषय पर भी लिखा है. सुखदा टाटके ने 2007 में सोफिया पॉलिटेक्निक से सोशल कम्युनिकेशन मीडिया में डिप्लोमा हासिल किया, जो उनके लिए एक अलग अनुभव साबित हुआ. उन्हें इस बात की प्रेरणा मिली कि ऐशो-आराम की जिंदगी से बाहर निकलकर समाज की भलाई के लिए काम किया जाए.
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